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यूपी: चंदौली के तीन भाई नौकरी छोड़ खेती को बनाया जीविका का आधार, तीन महीने में कमाए 50 हजार।

यूपी: चंदौली के तीन भाई नौकरी छोड़ खेती को बनाया जीविका का आधार, तीन महीने में कमाए 50 हजार।


चंदौली। चकिया के मुजफ्फरपुर निवासी तीन भाई जमुना, गंगाराम, त्रिवेणी ने महाराष्ट्र के भुसावल में स्टील कंपनी की नौकरी छोड़कर सब्जी की खेती को जीविका का आधार बना लिया है। कोरोना काल में 14 सौ किलोमीटर तक साइकिल से सफर कर घर पहुंचे। घर आने पर रोजी-रोटी का संकट हुआ तो बटाई पर जमीन लेकर खेती शुरू कर दी। टमाटर की खेती से तीन माह में 50 हजार रुपये की कमाई हुई तो उत्साह और बढ़ गया। अब व्यापक पैमाने पर सब्जी की खेती शुरू कर दी है।

तीनों भाई भुसावल जिले के जरना स्थित स्टील कंपनी में चार वर्षों से बतौर मजदूर काम कर रहे थे। कोरोना की दूसरी लहर आई तो फैक्ट्री में ताला लग गया। वहीं महाराष्ट्र में संक्रमण तेजी से फैला। ऐसे में जान बचाने के लिए घर भागना ही एक मात्र विकल्प बचा था। ट्रेनों में जगह नहीं मिली तो साइकिल से ही भुसावल के लिए घर के लिए चल पड़े। लगभग 1400 किलोमीटर का सफर तय कर गांव पहुंचे। यहां भी रोजी-रोजगार के लिए कोई सुलभ साधन नहीं था। हुनर के मुताबिक काम नहीं मिला, तो खेती को ही आजीविका का आधार बना लिया। लगभग डेढ़ बीघा जमीन में सब्जी की खेती कर रहे हैं। 

उन्हें सबसे अधिक आमदनी टमाटर से हो रही है। तीन माह में टमाटर बेचकर करीब 50 हजार रुपये की आय हुई है। अभी पिछले सीजन में प्याज और खीरा के साथ सहफसली की खेती की थी। इससे अच्छी-खासी आय हुई। घर बैठे आमदनी कर तीनों भाई खुशहाल हैं। जमुना ने बताया कि सब्जी की खेती से अच्छी आमदनी हो रही है। किसी फैक्ट्री में काम कर कभी इतना नहीं कमाया जा सकता। सिर्फ मौसम के प्रकोप और आपदा का डर लगा रहता है। यदि मौसम साथ दे तो सब्जी की खेती से इतनी आमदनी हो जाएगी कि अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना होगा।

तीनों भाइयों ने सब्जी की खेती शुरू करने का सोचा तो गांव के लोगों ने सरकारी अनुदान के बारे में जानकारी दी। इसके लिए तीनों ने तहसील और ब्लाक कार्यालय के चक्कर काटे। योजनाओं के बारे में पताकर आवेदन भी किया, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला। ऐसे में बिना किसी मदद के खुद के बलबूते खेती करने का मन बनाया। उनका यह जज्बा रंग लाया। अपने परिश्रम के दम पर खेती से अच्छी आय कर रहे हैं।