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मंगल ग्रह पर 6 बार सुनाई पड़ी एलियन की डकार, नासा के क्यूरियोसिटी रोवर के पास सबूत

मंगल ग्रह पर 6 बार सुनाई पड़ी एलियन की डकार, नासा के क्यूरियोसिटी रोवर के पास सबूत

मंगल ग्रह पर हाल ही में वैज्ञानिकों को एलियन डकार (Alien Burp) सुनाई दी है. इसके सबूत नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने जुटा लिए हैं. अब इसकी जांच की जा रही है कि ये डकार क्या है और इसका स्रोत क्या है? ये कहां से आ रही है? क्योंकि क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल ग्रह पर उतरने के बाद से अब तक 6 बार डकार जैसी आवाज को रिकॉर्ड किया है. लेकिन आसपास आवाज निकालने वाला कुछ दिखता नहीं है. नासा के वैज्ञानिकों के लिए भी ये घटना हैरानी वाली है. 


मंगल ग्रह (Mars) पर नासा का क्यूरियोसिटी रोवर (NASA's Curiosity Rover) साल 2012 में उतरा था. इसकी लैंडिग गेल क्रेटर (Gale Crater) में कराई गई थी. तब से लेकर अब तक यह 6 बार डकार जैसी आवाज रिकॉर्ड कर चुका है. यह आवाज क्यूरियोसिटी रोवर के डिटेक्शन सिस्टम में दर्ज हो रही है. लेकिन ये डकार जैसी आवाज आ कहां से रही है, ये वैज्ञानिकों को पता नहीं चल रहा है.


कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (CIT) के वैज्ञानिकों के अनुसार ये मीथेन गैस के बुलबुलों के फूटने की आवाज है. लेकिन इनका स्रोत पता नहीं चल रहा है. इसे समझने के लिए CIT के वैज्ञानिकों ने एक मॉडल बनाया. जिसमें उन्होंने यह समझाने की कोशिश की है कि मीथेन गैस के कण अलग होते हैं तो वो अलग-अलग पैकेट्स का फॉर्मेशन करते हैं. इसलिए वैज्ञानिक मंगल ग्रह पर हवा की गति और दिशा की स्टडी कर रहे हैं, साथ ही आवाज के आने की संभावित दूरी का अंदाजा लगा रहे हैं, ताकि यह पता चल सके कि क्यूरियोसिटी रोवर से कितनी दूरी और किस दिशा से यह एलियन डकार (Alien Burp) आ रही है.


हालांकि, एलियन डकार (Alien Burp) को सटीक रूप से खोज पाना मुश्किल होगा क्योंकि CIT के मॉडल के मुताबिक कुछ डकारों की दूरी कई किलोमीटर दूर भी हो सकती है. वहां तक जाने में क्यूरियोसिटी रोवर को काफी समय लग जाएगा. इसलिए वहां जाकर उनकी जांच करना संभव नहीं है. 


CIT के वैज्ञानिकों ने बताया कि गेल क्रेटर के दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पश्चिम इलाके में मीथेन की सक्रिय उत्सर्जन के डेटा मिले हैं. हो सकता है कि यहीं से एलियन डकार (Alien Burp) जैसी आवाजें आ रही हों. हो सकता है कि यह एक संयोग मात्र हो लेकिन बिना जांच किए इसे ऐसे ही जाने नहीं दिया जा सकता. क्योंकि क्यूरियोसिटी रोवर गेल क्रेटर के उस इलाके में लैंड हुआ था, जिसके आसपास मीथेन उत्सर्जन वाले सक्रिय इलाके हैं.
वैज्ञानिकों के लिए मंगल ग्रह पर मीथेन गैस की मौजूदगी काफी हैरान करने वाली है. क्योंकि धरती पर मीथेन गैस का उत्सर्जन जैविक प्रक्रिया से होता है. यानी जीवों के द्वारा. इसलिए मंगल ग्रह पर मीथेन गैस के बुलबुलों का फूटना या ऐसी एलियन डकारें (Alien Burps) आना यह बताता है कि यहां जीवन की संभावना है. 
अगर मीथेन जैविक प्रक्रिया से पैदा नहीं हो रही है, यानी यह कोई भूगर्भीय गतिविधि भी है. तो यहां पर तरल पानी होने के भी सबूत मिलते हैं. जिसकी वजह से जीवन पनप सकता है. क्योंकि मीथेन गैस का होना तरल पानी की मौजूदगी को लेकर एक महत्वपूर्ण सबूत है. 


क्यूरियोसिटी रोवर (Curiosity Rover) में एक यंत्र लगा है जिसका नाम है टुनेबल लेजर स्पेक्ट्रोमीटर (Tunable Laser Spectrometer). यही वो यंत्र है जो एलियन डकार (Alien Burp) सुन रहा है. उसे रिकॉर्ड कर रहा है. मतलब यह लगातार मीथेन गैस की मौजूदगी को दर्ज कर रहा है. यह संवेदनशील यंत्र है कि अगर ओलिंपिक स्वीमिंग पूल में एक चुटकी नमक भी गिरे तो यह उसे डिटेक्ट कर लेगा. 


इससे पहले यूरोपियन स्पेस एजेंसी (European Space Agency - ESA) के ट्रेस गैस ऑर्बिटर (TGO) से मंगल ग्रह पर मीथेन गैस की मौजूदगी का अध्ययन करने की कोशिश की गई थी. लेकिन यह प्रयास असफल रहा था. हालांकि मंगल ग्रह के वायुमंडल में मीथेन गैस का स्तर कम-ज्यादा होता रहता है. लेकिन TGO इसे पकड़ नहीं पाया. लेकिन क्यूरियोसिटी रोवर (Curiosity Rover) मीथेन गैस पैदा होने वाले स्थान के आसपास ही मौजूद है. 

NASA के वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्हें अब तक यह नहीं पता कि मीथेन गैस कहां से पैदा हो रही है. हो सकता है कि यहां पर छोटे माइक्रोब्स के रूप में जीवन मौजूद हो. क्योंकि मीथेन गैस का जीवन 330 साल होता है, इस दौरान ही इसे डिटेक्ट किया जा सकता है. इसके बाद यह सूरज की रोशनी की वजह से खत्म हो जाता है. इसका मतलब ये है कि जहां से भी मीथेन पैदा हो रही है, वह स्रोत अब भी सक्रिय है. 

अब नासा के वैज्ञानिकों का पहली प्राथमिकता ये है कि वो मंगल ग्रह पर मीथेन गैस पैदा करने वासे स्रोत को खोज सकें. नासा वैज्ञानिकों की यह स्टडी प्री-प्रिंट सर्वर रिसर्च स्क्वायर पर प्रकाशित हुई है. लेकिन अभी तक इसका पीयर रिव्यू नहीं किया गया है.