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यूपी: वाराणसी में नीलगिरी इंफ्रासिटी संचालकों पर 6.50 लाख रुपये हड़पने का लगा आरोप।

यूपी: वाराणसी में नीलगिरी इंफ्रासिटी संचालकों पर 6.50 लाख रुपये हड़पने का लगा आरोप।


वाराणसी। रियल इस्टेट कंपनी नीलगिरी इंफ्रासिटी के संचालक सुर्खियों में हैं। हालत यह है कि नीलगिरी इंफ्रासिटी के संचालकों के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में एक के बाद एक मुकदमे दर्ज हो रहे हैं। कार्रवाई की बजाय पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है। 

धोखाधड़ी और धमकाने सहित अन्य आरोप में शनिवार को एक और मुकदमा नीलगिरी इंफ्रासिटी के सीएमडी, एमडी व अन्य के खिलाफ चेतगंज थाने में दर्ज किया गया है। अब तक वाराणसी और चंदौली के अलग-अलग थानों में नीलगिरी इंफ्रासिटी के संचालकों के खिलाफ 12 से अधिक मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं।

गाजीपुर जिले के भांवरकोल थाना के बीरपुर निवासी आशीष कुमार राय के मुताबिक उन्हें वाराणसी में जमीन खरीदनी थी। इसे लेकर वह मलदहिया क्षेत्र की इंडियन प्रेस कालोनी स्थित नीलगिरी इंफ्रासिटी कंपनी के कार्यालय गए। वहां कंपनी के सीएमडी विकास सिंह, एमडी रितु सिंह, अर्चना, प्रदीप यादव व अन्य लोग मिले। 

उन्हें शहर के अलग-अलग इलाकों में स्थित प्लाट के नक्शे दिखाए गए। एक प्लाट उन्हें पसंद आया, तो उनसे एडवांस 6.50 लाख रुपये की मांग की गई। इसके साथ ही प्लाट के संबंध में 100 रुपये के स्टांप पर लिखा-पढ़ी की गई।समय बीता और उन्होंने प्लाट के लिए कंपनी के लोगों से संपर्क किया तो केवल आश्वासन मिला। 

जब उन्हें प्लाट नहीं मिला तो उन्होंने पैसे वापस करने की मांग की। इस पर कंपनी के प्रदीप यादव की ओर से उन्हें चेक दिया गया, जो बाउंस हो गया। फिर कंपनी से संपर्क किया तो कहा गया कि अपने पैसे भूल जाओ। ज्यादा परेशान करोगो तो मुसीबत में फंस जाओगे। इसके बाद फिर फोन करने पर उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी गई। 

पैसा भी चला गया और जमीन भी नहीं मिली। इस वजह से उनका पूरा परिवार मानसिक रूप से परेशान है। कोई रास्ता न सूझने पर उन्होंने एसीपी चेतगंज से कार्रवाई की मांग की तो मुकदमा दर्ज हुआ। नीलगिरी इंफ्रासिटी कंपनी के संचालकों पर मुकदमा दर्ज होने के बाबत एसीपी चेतगंज नितेश प्रताप सिंह ने शनिवार को बताया कि सभी मुकदमों की विवेचना जल्द पूरी कर आरोपितों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल करने का निर्देश विवेचकों को दिया गया है। 

उधर, कंपनी के प्रबंधक राजीव ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। मामले को समझने के लिए एमडी प्रदीप यादव को फोन करें। प्रदीप यादव के दोनों मोबाइल नंबर पर संपर्क किया गया। रिंग बजती रही, लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ। उनके मोबाइल नंबर पर इस बाबत संदेश भी भेजा गया, उसका भी जवाब नहीं आया।