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आगरा : जल्द चमकेगी ताजनगरी की सड़कें , महापौर ने लिया संकल्प

आगरा : जल्द चमकेगी ताजनगरी की सड़कें , महापौर ने लिया संकल्प

आगराः सब कुछ ठीक ठाक रहा तो जल्द ही ताजनगरी चमचमाती दिखेगी. आगरा के महापौर नवीन जैन ने 7 माह में शहर को डलाबघर (Dump House) मुक्त बनाने का संकल्प लिया है. महापौर ने शहर की जनता से इसका वादा भी किया था, जिसे 31 मार्च 2022 तक पूरा किया जाएगा. 

आगरा नगर निगम में बुधवार को महापौर, नगर आयुक्त, नगर निगम के अधिकारी और पार्षदों की मैराथन बैठक हुई. जिसमें 3 माह में शहर से डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन और डलाबघर मुक्त बनाने की कार्ययोजना पर चर्चा हुई और सहमति बनी.
बता दें कि ताजगंज में ताजमहल के आसपास वाले सभी 6 वार्डों में शत प्रतिशत डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का काम किया जा रहा है. इस कूड़े का 70 प्रतिशत सेग्रिगेशन भी हो रहा है.अब इसी तर्ज पर शहर के बाकी सभी क्षेत्रों में भी हर घर से कूड़ा उठे और सूखे व गीले कूड़े का अलग-अलग निस्तारण हो. इसके साथ कहीं भी गंदगी न दिखे. इसके लिए आगामी 30 अक्टूबर तक की कार्ययोजना तैयार की गई है. जिन क्षेत्रों में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था बेहतर मिली तो उन्हें डलाबघरों मुक्त बनाया जाएगा. जिससे कूड़ा सीधे डंपिंग स्थल पर डंप किया जा सके.

महापौर नवीन जैन ने बताया कि शहर में लगभग 300 से अधिक छोटे-बड़े डलाबघर हैं. पहले शहर की सफाई व्यवस्था सुदृढ़ की गई है. शहर में रात्रि कालीन सफाई व्यवस्था है. यहां पर एकत्रित कूड़े को डलाबघरों में डाला जाता है. इसके बाद भी शहर में गंदगी का आलम है. क्योंकि डलाबघरों में एकत्रित कूड़े को जानवर बिखेर देते हैं. डलाबघर भरने से कूड़ा सड़क पर फैलता है. जिससे बदबू आती है. यहां पर मच्छरों का प्रकोप बढ़ता है. महापौर ने बताया कि ताजमहल का दीदार करने हजारों की संख्या में आने वाले पर्यटकों के मन में शहर की छवि खराब होती है. डलाबघर और गंदगी के अंबार को देखकर ही आगरा को डलाबघर मुक्त बनाने का सकंल्प लिया है.

नगर आयुक्त निखिल टीकाराम फुंडे ने बताया कि ताजमहल के आसपास 6 वार्डों में जिस तरह से डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का काम हो रहा है. उसी तरह से शहर के अन्य वार्डों में हो. इसको लेकर ही कार्य योजना तैयार की है. शहर से प्रतिदिन एकत्रित होने वाले कूड़े के निस्तारण से संबंधित आंकड़े जुटाएं हैं. शहर से प्रतिदिन निकलने वाले कूड़े में लगभग 53 प्रतिशत कूड़ा घरों से आता है. जिनमें 24 प्रतिशत किचन वेस्ट होता है. जबकि, अन्य में रद्दी, कांच, रबर, प्लास्टिक, टेक्सटाइल, लकड़ी समेत अन्य कचरा होता है.