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वाराणसी: इस बार सावन में सड़कों पर ही लाइन में लगेंगे शिवभक्त, सिर्फ झांकी से बाबा का कर सकेंगे दर्शन।

वाराणसी: इस बार सावन में सड़कों पर ही लाइन में लगेंगे शिवभक्त, सिर्फ झांकी से बाबा का कर सकेंगे दर्शन।


वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने दावा किया था कि इस सावन में सड़कों पर नहीं मंदिर चौक पर ही भक्तों की कतार लगेगी। लेकिन श्री काशी विश्वनाथ धाम में चल रहे काम के कारण मंदिर प्रशासन का दावा फेल हो गया। हर बार की तरह इस बार भी शिवभक्तों को सड़क पर ही कतार लगानी होगी। श्रद्धालुओं को केवल चौक होते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा। वहीं इस बार भी सावन में भक्तों को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी और बाबा का झांकी दर्शन ही मिलेंगे।

मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि मैदागिन की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं को गेट नंबर चार छत्ताद्वार होते हुए मंदिर चौक भेजा जाएगा। उन्हें मंदिर परिसर के गेट-ए से प्रवेश देकर गर्भगृह के पूर्वी प्रवेश द्वार पर जल चढ़ाने की व्यवस्था मिलेगी। बांसफाटक से ढुंढिराज गली होकर आने वाले श्रद्धालु मंदिर परिसर के गेट-डी से प्रवेश पाएंगे और गर्भगृह के पश्चिमी द्वार से दर्शन व जलाभिषेक कर सकेंगे।

सरस्वती फाटक की ओर से आने वाले श्रद्धालु गर्भगृह के दक्षिणी द्वार और वीआइपी-वीवीआइपी व सुगम दर्शन के टिकटधारी गेट-सी से प्रवेश कर गर्भगृह के उत्तरी द्वार से दर्शन करेंगे। इस दौरान कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दर्शन पूजन होगा। बिना मास्क के किसी को भी मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।

बाबा के सुगम दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को 750 रुपये और मंगला आरती के लिए 1500 रुपये खर्च करने होंगे। विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने सावन के महीने में आरती, दर्शन और रुद्राभिषेक की नई दरें शुक्रवार को जारी की गईं।

हर सोमवार बाबा का अलग-अलग स्वरूप में शृंगार किया जाएगा। पहले सोमवार (26 जुलाई) को शिव शृंगार, द्वितीय सोमवार (दो अगस्त) को शिव-पार्वती शृंगार, तृतीय सोमवार (नौ अगस्त) को अर्द्धनारीश्वर शृंगार, चौथे सोमवार (16 अगस्त) को रुद्राक्ष शृंगार और पांचवें सोमवार को शिव-पार्वती-गणेश की चल प्रतिमाओं का झूला शृंगार होगा।

सावन के पहले सोमवार पर श्री काशी विश्वनाथ के जलाभिषेक का पेंच सुलझ गया है। यादव बंधु अपने पारंपरिक रूट से 11 यादवबंधु हर साल की तरह बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करेंगे। शुक्रवार को जलाभिषेक को लेकर चन्द्रवंशी गोप सेवा समिति ओर प्रशासन के बीच बातचीत के बाद सहमति बन गई। एसपी सिटी कार्यालय में चन्द्रवंशी गोप सेवा समिति और प्रशासन के अधिकारियों ने पहले सोमवार को होने वाले पारंपरिक जलाभिषेक को लेकर बैठक की।

पहले सोमवार को बाबा विश्वनाथ सहित नौ शिवालयों पर यादवबंधुओं द्वारा होने वाले जलाभिषेक को लेकर चर्चा हुई। समिति के अध्यक्ष लालजी यादव के अनुसार सहमति बनी कि प्रतीक चिन्ह पीतल के ध्वज और डमरू सहित 11 लोग परंपरा का निर्वहन करेंगे। लालजी यादव ने बताया कि जलाभिषेक की परंपरा 1932 में अकाल के बाद शुरू हुई थी। वर्तमान में जलाभिषेक का नेतृत्व भोला सरदार के बेटे लालजी यादव कर रहे हैं।