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हरियाणा: यमुनानगर में मां-बेटे को रेलवे स्टेशन पर खुले में दिन गुजारते देख एक अज्ञात युवक ने दिलाया कमरा।

हरियाणा: यमुनानगर में मां-बेटे को रेलवे स्टेशन पर खुले में दिन गुजारते देख एक अज्ञात युवक ने दिलाया कमरा।


हरियाणा। यमुनानगर जिस 90 वर्षीय हरबंस कौर ने पांचों बच्चों को पाला। दोनों बेटियों व दो बेटों की शादी कराई। बाद में वहीं उसका सहारा नहीं बने। सबसे छोटे बेटे राजू का मां से लगाव था। वह उसे नहीं छोड़ सका और उसके साथ ही रहा। बाद में दुनिया से मां के साथ में ही चला गया। जब हरबंस कौर के दोनों बेटे अजीत व अवतार ने हिस्सा लेकर उन्हें घर से निकाल दिया, तो राजू अपनी मां के साथ यहां यमुनानगर आया। 

रहने को कोई ठिकाना नहीं मिला, तो रेलवे स्टेशन के पीछे ही खाली पड़ी जगह में वह खुले में रहने लगे। बेटा राजू कभी कभी दिहाड़ी मजदूरी करता था। मां को भी रेलवे स्टेशन के पास कोई खाने को दे देता था। करीब दो साल तक उन्होंने ऐसे ही दिन गुजारे। इस बीच नंदा कालोनी निवासी मोनू ने मानवता देखाते हुए उन्हें सहारा दिया। कालोनी के लोग भी इनके प्रति सहानुभूति रखते थे।

मोनू ने बताया कि उन्हें किसी ने बताया कि एक बुढ़िया और अपने बेटे के साथ रेलवे स्टेशन के पास रहती है। बेचारे बेहद गरीब हैं। खुले में दिन गुजार रहे हैं। यह पता लगने पर वह रेलवे स्टेशन पर गए। वाकई में इनकी हालत बेहद खराब थी। इनके पास सामान के नाम पर एक एक बैग, रजाई, कुछ कपड़े व बर्तन थे। इससे पहले यह गलियों में कही भी खाली जगह देखकर रात काटते थे। कई बार पहले भी इन्हें गलियों में देखा था। जिस पर इनके लिए कालोनी में ही एक कमरा देखा गया। रेलवे से सेवानिवृत्त रघुबीर सिंह ने उनके अनुरोध पर कमरा किराये पर दे दिया। जिसका किराया 1500 रुपये था। वृद्धा व उसके बेटे के पास इतने पैसे नहीं थे। 

जिस पर मालिक को कह दिया था कि इस कमरे का किराया वह खुद दे देगा। इनसे कुछ भी लेने की जरूरत नहीं है। करीब एक माह पहले ही यह दोनों यहां कमरे में रहने लगे थे। इस कमरे में दो चारपाई थी। जिसमें यह मां बेटे रहते थे। एक चारपाई की रस्सियां टूट चुकी थी। कमरे में पालीथिन में सामान है। गैस का चुल्हे पर चाय बनाने का बर्तन रखा हुआ है। सीन आफ क्राइम की टीम ने भी घटना स्थल का दौरा किया। जो भी खाने का सामान वहां पर मिला। उसमें दुर्गंध हो रही थी।

वृद्धा को बुढापा पेंशन मिलती थी। अमृतसर से ही वह पेंशन लेकर आती थी। मोनू ने बताया कि वृद्धा भी बीमार रहती थी। उसे शुगर व अन्य बीमारी थी। कई दिन पहले राजू से बात हुई थी, तो उसने कहा था कि मां की पेंशन लेने के लिए अमृतसर जाना है। जिस पर उसे कहा था कि यदि पेंशन के लिए जाना है, तो बस का टिकट कराकर देंगे। अब इनकी मौत हो चुकी है। हराभरा परिवार होने के बाद भी मां-बेटे का कालोनी के लोगों ने संस्कार कराया। मोनू, जसबीर सिंह, रवि रावत, राकेश कुमार, देवेंद्र, भूपेंद्र सिंह, मांगा, हैप्पी योगेश, मयंक, गोलू व राजीव गांधी ने सामुहिक रूप से संस्कार का खर्च दिया।