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आज भड़ली नवमी का जानें शुभ मुहूर्त,  शास्त्रों में क्या हैं इसका महत्व

आज भड़ली नवमी का जानें शुभ मुहूर्त, शास्त्रों में क्या हैं इसका महत्व


धर्म । आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भड़ली नवमी कहा जाता है। इस तिथि को भड़ाल्या, कंदर्प नवमी भी कहते हैं। इस साल भड़ली नवमी 18 जुलाई, रविवार को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, यह शुभ विवाह या मांगलिक कार्यों के लिए अंतिम तिथि होती है। इसके बाद देवशयनी एकादशी आती है। इस दिन भगवान विष्णु अगले चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान शुभ व मांगलिक कार्यों पर रोक होती है। मान्यता है कि देवशयनी एकादशी के बाद मांगलिक कार्यों में भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त नहीं हो पाता है।


भड़ली नवमी 18 जुलाई को सुबह 02 बजकर 41 मिनट से शुरू होगी। जिसका समापन देर रात 12 बजकर 28 मिनट पर होगा। इस दिन रवि और साध्य योग भी बन रहे हैं। साध्य योग रात 01 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। मान्यता है कि इन योग में किए गए कार्य सफल होते हैं।


भड़ली नवमी को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है। यह दिन विवाह, नया व्यापार और गृह प्रवेश करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है। भड़ली नवमी को अक्षय तृतीया की तरह ही शुभ माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शादी के लिए शुभ मुहूर्त जिसे न मिले वो इस दिन शादी कर सकते हैं। इस तिथि को हिंदू धर्म में बेहद शुभ फलकारी माना गया है।


भड़ली नवमी के बाद 20 जुलाई से चतुर्मास शुरू हो जाएंगे। इस दिन देवशयनी एकादशी भी है। इस तिथि से पालनहर्ता भगवान विष्णु पाताल लोक में निद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं। देवशयनी एकादशी के बाद सावन का महीना का शुरू होता है। सावन मास के सोमवार का विशेष महत्व होता है।