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भारत और चीनी विदेश मंत्रियों की मुलाकात, जयशंकर ने बताया LAC को लेकर क्या हुई बात

भारत और चीनी विदेश मंत्रियों की मुलाकात, जयशंकर ने बताया LAC को लेकर क्या हुई बात

नई दिल्ली ।  विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक से इतर चीन के अपने समकक्ष वांग यी से मुलाकात की। भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच यह मुलाकात एक घंटे तक चली, जिसमें लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) को लेकर बातचीत हुई। विदेश मंत्री ने ट्वीट करके इस मुलाकात की जानकारी देते हुए कहा कि चीनी समकक्ष के साथ बातचीत पश्चिमी सेक्टर में एलएसी को लेकर लंबित मुद्दों पर केंद्रित थी।

विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने चीन से कहा है कि यथास्थिति में एक तरफा बदलाव स्वीकार्य नहीं है। रिश्तों में विकास के लिए जरूरी है कि सीमा पर पूरी तरह शांति बहाल की जाए। दोनों नेता सैन्य कमांडर्स के बीच जल्द बैठक आयोजित कराने पर सहमत हुए हैं। वहीं, विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी के मौजूदा हालात को लेकर विस्तृत रूप से विचारों को साझा किया और भारत-चीन के रिश्तों से जुड़े दूसरे मुद्दों पर भी चर्चा हुई है।

सितंबर 2020 में हुई पिछली मुलाकात का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने तब हुए समझौते को लागू करने और डिसइंगेजमेंट को पूरा करने, पूर्वी लद्दाख में LAC से जुड़े बाकी मुद्दों को हल करने पर जोर दिया। जयशंकर ने कहा कि पैंगोंग झील से डिसइंगेजमेंट ने बचे हुए मुद्दों को सुलझाने का माहौल तैयार किया। यह उम्मीद की जा रही थी कि चीनी पक्ष इस लक्ष्य की दिशा में काम करेगा। लेकिन बाकी इलाकों में स्थिति नहीं बदली है। 

विदेश मंत्री ने इस बात की भी याद दिलाई कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि मौजूदा हालात का लंबे समय तक बने रहना किसी भी पक्ष के हित में नहीं है। इसका रिश्ते पर नकारात्मक प्रभाव देखा जा सकता है। विदेश मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि 1988 के बाद रिश्तों में विकास की नींव सीमा पर शांति रही है।

विदेश मंत्री ने इस बात की भी याद दिलाई कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि मौजूदा हालात का लंबे समय तक बने रहना किसी भी पक्ष के हित में नहीं है। इसका रिश्ते पर नकारात्मक प्रभाव देखा जा सकता है। विदेश मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि 1988 के बाद रिश्तों में विकास की नींव सीमा पर शांति रही है। पिछले साल यथास्थिति में बदलाव की कोशिश ने 1993 और 1996 में जताई गई प्रतिबद्धताओं को भी कमतर किया और निश्चत तौर पर रिश्तों को प्रभावित किया है। उन्होंने जोर दिया कि यह दोनों पक्षों के हित में है कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी के बचे हुए मुद्दों का द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के तहत जल्दी समाधान निकाला जाए। 
 
दोनों मंत्रियों ने इस बात को रेखांकित किया कि 25 जून 2021 को WMCC की बैठक में वरिष्ठ सैन्य कमांडर्स के बीच एक और राउंड की बैठक का फैसला हुआ था। दोनों इस बात पर सहमत हुए कि इसका आयोजन जल्द से जल्द हो। दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए कि बाकी मुद्दों पर भी चर्चा होनी चाहिए और दोनों पक्षों को स्वीकार्य समाधान पर पहुंचा जाए। यह भी दोहराया गया कि दोनों पक्ष जमीन पर स्थिरता के लिए काम करेंगे और कोई भी पक्ष इस तरह की एकतरफा कार्रवाई नहीं करेगा, जिससे टेंशन और अधिक बढ़े। दोनों मंत्री संपर्क में रहने पर भी सहमत हुए।