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धर्म: आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा पर्व के बारे में।

धर्म: आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा पर्व के बारे में।


धर्म। सनातन धर्म की परंपरा में आषाढ़ पूर्णिमा पर गुरु पूजा का विधान है। इस बार पूर्णिमा तिथि दो दिन मिल रही है। पूर्णिमा तिथि 23 जुलाई को सुबह 9:34 बजे लग रही है जो 24 जुलाई को सुबह 7:41 बजे तक रहेगी। बता दें कि जब पूर्णिमा उदया तिथि में मिलती है तब गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। ऐसे में गुरु पूजन पर्व 24 जुलाई को मनाया जाएगा।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय के अनुसार गुरु मानव जीवन को अज्ञानता के अंधेरे को भस्म कर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ माह की पूर्णिमा पर भगवान विष्णु के अवतार महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ। उन्होंने पुराणों की रचना की। कौरव और पांडव इन्हें गुरु मानते थे। इस कारण आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु या व्यास पूर्णिमा कहा जाता है। 

गुरुकुल आश्रम में शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चे विद्याध्ययन के बदले गुरु पूर्णिमा के दिन श्रद्धाभाव से अपने गुरु का पूजन करते थे। मान्यता है कि जिस प्रकार आषाढ़ की घटा बिना भेदभाव किए सभी पर जलवृष्टि कर ताप हरती है, उसी प्रकार गुरु अपने शिष्यों को इस पावन दिन पर आशीर्वाद से अभिसिंचित करते हैं।

काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु का अपने श्रद्धा, भक्ति और शक्ति के अनुसार पूजन कर आशीष प्राप्त करते हैं। भारत भूमि में इसे महापर्व के रूप में मनाया जाता है। जिसका कोई गुरु नहीं है वह महागुरु बाबा संकटमोचन के दरबार में हाजिरी लगाता है। इसी दिन से संतों का चातुर्मास साधना का महाव्रत का आरंभ भी हो जाता है। इस बार कोविड 19 प्रोटोकॉल के तहत गुरु दर्शन भक्‍त करेंगे। मठ और आश्रमों में भीड को कम रखने की ही कोशिश है।