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यूपी: वाराणसी संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति के अनुरूप शास्त्री के पाठ्यक्रम अब ह्यूमन राइट्स भी होगा शामिल।
वाराणसी। नई शिक्षा नीति अनुरूप संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन स्नातक शास्त्री स्तर पर न्यूनतम कामन सिलेबस लागू करने की तैयारी में जुटा हुआ है। इस क्रम विभागवार पाठ्यक्रमों को अपग्रेड किए जा रहे है। शास्त्री में विभिन्न विषयों में तीन प्रश्नपत्रों के स्थान पर दो प्रश्नपत्रों की परीक्षाएं होंगी। इसके अलावा राजनीति विज्ञान में मानवाधिकार ह्यूमन राइट्स का पाठ्यसामग्री भी जोड़ा गया है।
सामाजिक विज्ञान विभाग के अलावा, ज्योतिष, धर्मशास्त्र, सांख्ययोग तंत्रागम, वेद, वेदांत, पुराणेतिहास सहित अन्य विभागों में भी नई शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम बनाने का कार्य जारी है। कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि स्नातक में सेमेस्टर प्रणाली इसी सत्र से लागू करने का निर्णय लिया गया है।
इसके तहत पाठ्यक्रमों का विभाजन सेमेस्टर प्रणाली के अनुसार किया जा रहा है। वहीं शास्त्री में अब कंप्यूटर साइंस व अंग्रेजी अनिवार्य किया जाएगा। उन्होंने बताया कि रोजगारपक पाठ्यक्रमों की भी रूपरेखा बनाई जा रही है। दूसरी ओर सामाजिक विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. शैलेश कुमार मिश्र ने बताया कि शास्त्री के छात्रों को मानवाधिकार हिंदी में ही पढ़ाया जाएगा।
बीएचयू में विज्ञान संस्थान के छात्र-छात्राओं का बोलबाला दुनिया भर के शैक्षणिक संस्थाओं में रहा है। शैक्षणिक सत्र पूरा होते-होते ही हर साल कई छात्रों को अपनी उच्च शिक्षा को जारी रखने का अवसर आसानी से मिल जाता है। इसी तरह से इस साल बीएचयू के दो विद्यार्थियों का प्रतिष्ठित अमेरिकी विश्वविद्यालयों में शोध कार्य के लिए चयन हुआ है। बीएचयू से बीएससी और एमएससी और आइआइटी कानपुर से पीएचडी कर चुकीं चित्रगुप्त नगर की डा. पायल श्रीवास्तव का वाशिंगटन स्थित यूनिवर्सिटी आफ मैरीलैंड के बायो इंजीनियरिंग विभाग में पोस्ट डाक्टोरल फेलोशिप के लिए चयन हुआ है।
वहीं बीएचयू में जंतु विज्ञान विभाग के एमएससी के छात्र निखिल श्रीवास्तव यूनिवर्सिटी आफ वायोमिंग में पीएचडी के लिए चुने गए हैं। डा. पायल ने गुरुवार को यूनिवर्सिटी आफ मैरीलैंड में अपना कार्यभार संभाल भी लिया है। उन्हें वहां पर नैनो पार्टिकल के विभिन्न उपयोगों के बारे में गहन अध्ययन और लैब के बेहतर संचालन की जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें वहां पर शोध और अध्ययन के लिए काफी बेहतर वातावरण मिला हुआ है।