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यूपी: लखनऊ में पकड़ाए आतंकियों का आजमगढ़ कनेक्‍शन, एजेंसियों के रडार पर आतंकी कनेक्शन।

यूपी: लखनऊ में पकड़ाए आतंकियों का आजमगढ़ कनेक्‍शन, एजेंसियों के रडार पर आतंकी कनेक्शन।


आजमगढ़। लखनऊ में दो आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद खुफिया एजेंसियां, आतंकवाद निरोधी दस्ता एटीएस अलर्ट मोड में हैं। गिरफ्तार आतंकियों का आजमगढ़ कनेक्शन जानने की कोशिशें शुरू हो गईं हैं। उचित भी कि देश में आतंकी गतिविधियों में लिप्त सिर्फ जिले के करीब दो दर्जन युवाओं के नाम सामने आ चुके हैं। इनमें नेपाल बार्डर से आतंकी यासीन भटकल संग गिरफ्तार जिले का असदुल्लाह अख्तर, लखनऊ में गिरफ्तार मुफ्ती अबु बशर व बिलरियागंज में सुरक्षा एजेंसियों के हत्थे चढ़ा शहजाद इत्यादि कुख्यात नाम हैं। बहुतेरों तक तो एटीएस, एनआइए आज तक पहुंच ही नहीं पाई है। इसी बीच प्रदेश में अलकायदा की सक्रियता सामने आने पर अंदरखाने में निगहबानी हद दर्जे पर शुरू हो गई है।

बता दें कि वर्ष 2008 में 26 जुलाई को अहमदाबाद में हुए सीरियल ब्लास्ट के बाद आतंकियों के कनेक्शन आजमगढ़ से जुड़ने लगे थे। एटीएस, इंटेलीजेंस टीम ने खंगाला तो आजमगढ़ के सरायमीर निवासी मुफ्ती अबु बशर लखनऊ में हत्थे चढ़ा था। उसके बाद पुलिस ने अलग-अलग घटनाओं के एक-दूसरे से तार जोड़े तो दो दर्जन युवाओं के चेहरे सामने आए। छानबीन बढ़ी तो आजमगढ़ के तार दिल्ली व अन्य महानगरों में हुए सीरियल धमाकों से जुड़े, फिर बटलाकांड में आतिफ अमीन व छोटा साजिद के मारे जाने के बाद जिला सुर्खियों में छा गया था। हालांकि, सुरक्षा एजेंसियों का शक तो वर्ष 2007 में ही गहरा गया था, जब रानी की सराय में क्लीनिक चलाने वाला हकीम तारिक कासिमी बाराबंकी रेलवे स्टेशन पर विस्फोटक के साथ हत्थे चढ़ा था।

आजमगढ़ शहर निवासी असदुल्लाह अख्तर भी इंटीग्रल यूनिवर्सिटी से फार्मेसी कर रहा था, जबकि लखनऊ में पकड़ा गया मिनहाज लखनऊ इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में टेक्नीशियन था। इसके अलावा आजमगढ़ का डाक्टर शहनवाज जो बटला इंनकाउंटर में पकड़े गए मोहम्मद सैफ का बड़ा भाई है। उसे इंडियन मुजाहिदीन का मुख्य सदस्य माना जाता था। हालांकि, सुरक्षा एजेंसियां अब तक उसे पकड़ नहीं पाईं हैं। एटीएस के निर्देश पर सरायमीर पुलिस ने तो चार आतंकियों की हिस्ट्रीशीट भी खोल रखी है।

आतंकी गतिविधियों में सामने आ चुके हैं इनके नाम अबु राशिद, शादिक शेख, जाकिर शेख, आरिफ बदर, खलीलुर्रहमान, अंसार अहमद, डाक्टर शहनवाज, बड़ा साजिद, अबू राशिद, मिर्जा शादाब बेग, मु. खालिद, असदुल्लाह अख्तर, आरिज खान उर्फ जुनैद, मोहम्मद सैफ, शाकिब निसार, जीशान अहमद, आरिफ, मुहम्मद हाकिम, मोहम्मद सरवर, सैफुर्रहमान, शहजाद उर्फ पप्पू, सलमान अहमद, मुफ्ती अबु बशर, हकीम तारिक कासमी। अधिकांश आजमगढ़ शहर, सरायमीर, मुबारकपुर व संजरपुर के निवासी हैं।


आतंकी घटनाओं के तार आजमगढ़ से सिलसिलेवार जुड़ने के कारण ही आतंकवाद निरोधी दस्ता के मुखिया ने आजमगढ़ के कलेक्टर से 3000 वर्ग फीट भूमि की मांग की थी। उन्होंने डीएम को लिखे अपने पत्र में स्वतंत्र यूनिट की स्थापना की बात कही थी। डीएम राजेश कुमार ने उसका संज्ञान लेते हुए 3000 वर्ग फीट जमीन की तलाश करने का निर्देश सीआरओ मुख्य राजस्व अधिकारी हरीशंकर को दिया था। सीआरओ ने बताया कि मंदुरी इलाके में भूमि उपलब्ध करा दी गई है।

बोले डीआइजी कि अभी तो एटीएस काम कर रही है। चूंकि आजमगढ़ के आतंकी कनेक्शन सुर्खियों में रहे हैं इसलिए मैं आशंकाओं से इंकार नहीं कर सकता। एटीएस से समन्वय करने के साथ पुलिस खुद के स्तर पर पुरानी घटनाओं में सामने आए नामों, उनसे जुड़े लोगों की निगहबानी कर रही है। पिछले साल सामने आए पासपोर्ट प्रकरण में भी हमने कार्रवाई की थी। यही कहूंगा कि पुलिस अलर्ट है।