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यूपी: वाराणसी में निजी वाहनों को सरकारी नंबर के आवंटन का मामला आया सामने।
वाराणसी। शासकीय सीरीज प्राइवेट वाहनों को जारी करने के मामले में शासन ने फिर संभागीय परिवहन अधिकारी से रिपोर्ट मांगी है। शासन ने दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों का नाम मांगा है जबकि आरटीओ ने यह दिखाते हुए रिपोर्ट भेजी थी कि एआरटीओ की पहली पोस्टिंग थी और उन्हें नियमों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उनकी तैनाती को एक माह हुए थे। एआरटीओ ने जान बूझकर गलती नहीं की है। इस बात पर शासन ने नाराजगी जाहिर की है।
अलग पहचान के लिए शासन ने जी सीरीज का नंबर सरकारी वाहनों के लिए आरक्षित किया है, जो निजी वाहनों को आवंटित नहीं किया जा सकता है। मामला उजागर होने पर परिवहन आयुक्त धीरज साहू ने नाराजगी जाहिर करते हुए अपर परिवहन आयुक्त प्रशासन मुकेश चंद्र को जांच कराने का निर्देश दिया है। इस क्रम में आरटीओ से रिपोर्ट मांगी गई है।
वर्ष 2012 में बनारस के तत्कालीन सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी एआरटीओ सुरेश मौर्या के समय का है। फिलहाल वह प्रयागराज में एआरटीओ प्रवर्तन पद पर कार्यरत है। परिवहन आयुक्त ने इसी आरोप में झांसी के एआरटीओ विवेक शुक्ला को गत दिनों मुख्यालय संबद्ध किया है। परिवहन विभाग जब एक सीरीज जारी करता है तो उसमें दस हजार नंबर होते हैं।
हैरत यह कि बनारस में जी सीरीज के कुछ नंबर नहीं, बल्कि इस सीरीज को पूरी तरह निजी वाहनों को आवंटित कर दिया गया। निजी वाहनों को सरकारी नंबर आवंटित करने का मामला फिर तूल पकड़ लिया है। प्रमुख सचिव राजेश कुमार सिंह ने चार आरटीओ के खिलाफ दोबारा जांच का आदेश दिया है। इसमें वाराणसी में तैनात एक एआरटीओ भी शामिल हैं।
हालांकि एआरअटीओ प्रशासन सर्वेश चतुर्वेदी ने इस तरह के किसी आदेश की जानकारी होने से इंकार किया है। 2012 के नवंबर में प्रदेश के चार जगहों पर एआरटीओ ने निजी वाहनों को सरकारी नंबर आवंटित कर दिया था। मामले की जानकारी होने पर शासन ने इसके जांच के आदेश दिए थे। जांच में वाराणसी के बाबतपुर स्थित परिवहन कार्यालय में भी इस तरह का मामला सामने आया था।