यूपी । राजधानी लखनऊ का एयरपोर्ट विमानों की मेन्टेनेंस यानी रखरखाव का ‘हब’ बनाया जाएगा। बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार मिलेंगे। साथ ही कोई विमान खराब हुआ तो मुम्बई-दिल्ली से उसे ठीक करने के लिए इंजीनियर बुलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
विमान एक दिन में 16 से 18 घंटे हवा में रहते हैं। रात में किसी एक स्थान पर यह रुकते हैं। नियमित रूप से उनको मेन्टेनेंस की जरूरत पड़ती है। राजधानी के एयरपोर्ट पर विमानों की मेन्टेनेंस के लिए अलग से एक यूनिट बनाने की तैयारी चल रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इनवेस्टर समिट के दौरान लखनऊ, जेवर समेत कुछ एयरपोर्ट पर ऐसा हब बनाने की योजना तैयार की थी। माना जा रहा है उसी क्रम में नई यूनिट स्थापित की जाएगी।
राजधानी में रोजाना 30 से 40 विमान आते हैं। इनमें से पांच-छह रात में रुकते हैं। रखरखाव यूनिट को ध्यान में रखते हुए ही एप्रेन यानी जहां विमान रात में रुकते हैं, उनकी संख्या बढ़ाई जा रही है। इसको 14 से 22 किया जाना है जिसके लिए लगातार कार्य चल रहा है। एयरपोर्ट के सूत्रों ने बताया कि रनवे के दक्षिणी छोर पर काफी जमीन निष्प्रयोज्य पड़ी है। यहां पुराना रनवे है। लम्बे समय से खाली रहने की वजह से इस स्थान पर झाड़ियां उग आई हैं। इसको साफ कर के विकसित किया जाएगा। मौजूदा समय सीआईएसएफ जवानों के लिए दो स्थानों पर बैरक हैं जो काफी दूर हैं। एक ट्रांसपोर्ट नगर मेट्रो स्टेशन के पास और दूसरी एयरपोर्ट रोड की शुरुआत में है। अब नई बैरकें पुराने रनवे के आखिरी छोर पर बनाई जाएगी।
मौजूदा समय सिर्फ एयर इंडिया के विमानों की मेन्टेनेंस का कार्य लखनऊ एयरपोर्ट पर चल रहा है। इसके लिए इक्का दुक्का इंजीनियर ही रहते हैं। कार्गो क्षेत्र में ये इंजीनियर विमान खराब होने पर तुरंत उसकी मरम्मत कर देते हैं।
दो से तीन तक रुका रहता है खराब विमान
मेन्टेनेंस की सुविधा न होने पर विमान में कोई खराबी आने पर उसे दो से तीन दिन तक पार्किंग एप्रन में रोका रहना पड़ता है। 2018 की दिसम्बर में इंडिगो के एक विमान के पहिए में खराबी आ गई थी। यह विमान पांच दिन तक एयरपोर्ट पर ही रुका रहा। नतीजतन एक विमान कम होने से अलग अलग शहरों की कई उड़ानें निरस्त करनी पड़ीं। यदि मेन्टेनेंस टीम तुरंत नहीं मिलती तो एक विमान रुकने से उसके ठीक होने तक कई उड़ानों पर असर पड़ जाता है। एक विमान अलग अलग उड़ान नम्बर पर एक शहर से दूसरे के बीच यात्रा करता है।