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यूपी: कोरोना काल में छूटा महानगर तो जौनपुर अपने गांव में शुरू किया सब्जी बेचने का धंधा।
जौनपुर। दिल्ली में ई-रिक्शा चलाकर परिवार का गुजर-बसर कर रहे वीरेंद्र मौर्य के लिए कोरोना महामारी फैलने के पहले सबकुछ अच्छा था। अप्रैल माह से शुरू हुई बंदिशों ने हालात बदलकर रख दिया। आराम से चल रही जिंदगी की गाड़ी अचानक रुक सी गई। भविष्य अंधकारमय दिखने लगा। एक माह किसी तरह काटने के बाद उन्होंने अपना ई-रिक्शा उठाया और लौट आए गांव। अब सब्जी का धंधा करके जीवनयापन कर रहे हैं।
मई के अंतिम सप्ताह में गांव आए तो यहां कुछ काम-धाम नहीं था। पिता राम आसरे शाम को बाजार में सब्जी की दुकान लगाते थे। कुछ माह यूं ही गुजारने के बाद अचानक ख्याल आया कि क्यों न इस ई-रिक्शा से ही कुछ किया जाए। फिर क्या था, पास में बचाकर रखे कुछ रुपये लेकर अगले दिन सब्जी मंडी में पहुंच गए और वहां से थोक में सब्जियां खरीदकर गांव में घूम-घूमकर फुटकर बेचने लगे।
इतना ही नहीं एक साउंड खरीदा और अपनी एंड्रायड मोबाइल में रोजाना का सब्जी भाव रिकार्ड कर उसे साउंड से जोड़ दिया। जिससे ग्राहकों को भाव बताने की भी झंझट नहीं रह गई। पहले वीरेंद्र अगल-बगल के गांवों में घूमकर दिनभर सब्जी बेचने का काम करते थे। अब बाजारों के खुलने पर रामनगर बाजार में चौराहे पर खड़े होकर ई-रिक्शा से सब्जी बेचते हैं। बताया कि यहां दिल्ली जैसी आमदनी तो नहीं है, लेकिन फिर भी सब ठीक ही चल रहा है।