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यूपी: एमआरयू लैब बीएचयू कर रहा वाराणसी समेत पांच मंडलों के डेल्टा प्लस वैरिएंट की जांच।
वाराणसी। चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के एमआरयू लैब में कोविड -19 के डेल्टा वैरिएंट को मात देने के लिए शोध शुरू हो गया है। इस लैब को वाराणसी, मीरजापुर, आजमगढ़ मंडल के साथ ही गोरखपुर व प्रयागराज मंडल के जिलों के सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग कर डेल्टा प्लस वैरिएंट की पहचान की जिम्मेदारी दी गई है। इसके तहत यहां अध्ययन शुरू हो गया है। हालांकि राहत की बात यह है कि अब तक जांच में डेल्टा प्लस वैरिएंट के लक्षण नहीं मिले हैं।
सीएम ने यहां के विज्ञानियों की सराहना की है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस पहल से डेल्टा प्लस वैरिएंट का पता लगाने और प्रसार रोकने में मदद मिलेगी। कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट गोरखपुर समेत प्रदेश के कुछ जिलों में पाए जाने के बाद योगी सरकार अलर्ट हो गई है। सरकार ने लखनऊ और वाराणसी के चिकित्सा संस्थानों में इस वैरिएंट के अलग-अलग पहलुओं की जांच शुरू करा दी है। साथ ही डेल्टा प्लस वैरिएंट की जानकारी के लिए आइएमएस, बीएचयू में 50 सदस्यों की टीम शोध में जुटी है।
एमआरयू मल्टी डिसिप्लीनरी रिसर्च यूनिट की प्रभारी प्रो. रोयना सिंह ने बताया कि अभी वाराणसी, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र, जौनपुर के सैंपल की जांच की जा रही है। शनिवार को प्रयागराज के भी सैंपल यहां आए। आरटीपीसीआर जांच के लिए आए सैंपल की कई स्तर पर जांच की जा रही है। इसमें किसकी सिटी वैल्यू 25 से कम है, म्योकर मायकोसिस ब्लैक फंगस ब्रेक थ्रू वैक्सीन लगवाने के बाद जो कोरोना पाजिटिव व सैंपल की सीडीएन जीनोम की सीक्वेंस कर स्ट्रक्चर देखा जा रहा है।
प्रो. रोयना सिंह ने बताया कि अभी तक करीब 250 जीनोम सिक्वेंसिंग की जा चुकी है। राहत भरी ख़बर ये है की अभी तक एक भी डेल्टा प्लस वैरियंट नहीं पाया गया आया है। सरकार की इस पहल से डेल्टा प्लस वेरिएंट की आहट का पता चलते ही तत्काल निपटने की तैयारी करने में मदद मिलेगी। प्रो. रोयना सिंह की टीम में शामिल विज्ञानी डा. चेतन साहनी बताते हैं कि अगर डेल्टा प्लस वैरिएंट से प्रभावित लोगों की तुरंत पहचान हो जाती है तो उन्हें तत्काल आइसोलेट कर प्रसार रोकने में सहायता मिलेगी। यहां पर जीनोम सिक्वेंसिंग की संख्या बढ़ा कर दो हज़ार तक करने पर जोर है।