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यूपी: वाराणसी के महामना की बगिया के प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट प्रो. टीके लाहिड़ी को हर कोई करता है सलाम।

यूपी: वाराणसी के महामना की बगिया के प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट प्रो. टीके लाहिड़ी को हर कोई करता है सलाम।


वाराणसी। महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की बगिया के एक ऐसे फूल हैं जिनके आगे हर किसी का सिर बड़े ही अदब के साथ झुकता है। उस महान शख्सियत का नाम है प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट प्रो. तपन कुमार लाहिड़ी। वे सेवानिवृत्त होने के बाद भी मरीजों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर रहे हैं। इस लिए तो उन्हें धतरी का भगवान कहा जाता है। वे 90 के दशक से ही अपना वेतन एवं रिटायर होने के बाद पेंशन भी गरीबों की सेवा के लिए दान करते आ रहे हैं। आज भी वे अपने जीवन चलाने भर की ही राशि रखते हैं और बाकी को बीएचयू के ही कोष में छोड़ देते हैं। 

उनके आगे कोई भी बड़ा नहीं हैं सभी एक समान है। वे प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री को भी मिलने से इंकार चुके हैं। एक जुलाई को डा. विधानचंद्र राय की जयंती पर राष्ट्रीय डाक्टर्स डे मनाया जा ता है। वे भी अपना वेतन जरूरतमंदों को दान कर देते थे। डा. लाहिड़ी की भी तुलना उन्हीं से की जाती है। हालांकि ये हमेशा से ही राजनीति से दूर रहे।

प्रो. लाहिड़ी समय के बहुत ही पाबंद हैं। उनकी टाइमिंग इतनी संतुलित हैं कि लोग अपनी घड़ी का समय मिलाते हैं। न तो वे फोन रखते हैं और न ही उनके घर में कोई सेवक हैं। वे घर हैं या अस्पताल में यह जानकारी सिर्फ नरिया गेट पर खड़े सुरक्षाकर्मी ही बता पाते हैं। करीब 78 साल के हो चुके प्रो. लहरी लाक्टर कालोनी में खुद ही खाना बनाकर खाते हैं। उनके फ्लैट में मात्र चौकी एवं कुछ कुर्सी ही है। वे बाबा विश्वनाथ व माता अन्नपूर्णा को अपना आराध्य मानते हैं।

प्रो. लाहिड़ी को 2016 में 'पद्म श्री' से सम्मानित किया गया था। वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ जब यूपी के मुख्यमंत्री बने बने तो उस समय भारतीय जनता पार्टी की ओर संभ्रांत लोगों को उनके घर जाकर सम्मान देने की योजना शुरू हुई थी। योगी को काशी के कुछ संभ्रांत लोगों के घर जाकर उन्हें सम्मान देना था, जिसमें प्रो. लहरी का भी नाम शामिल था। 

योगी अन्य सभी संभ्रांत से तो मिल लिए लेकिन प्रो. लहरी ने घर पर मिलने से मना कर दिया था। इसके अलावा वे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को भी मिलने से मना कर चुके थे। एक बार तो कुलपित को भी आवास पर जाकर उपचार करने से मना कर दिए थे। हालांकि प्रो. लहरी के इस जवाब का भी सभी ने सम्मान किया।