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यूपी: नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का ऑब्सटेकल लिमिटेशन सरफेस का सर्वे होगा फिर से।
नोएडा। दिल्ली से सटे यूपी के गौतमबुद्धनगर में बनने जा रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का आब्सटेकल लिमिटेशन सरफेस ओएलएस सर्वे एक बार फिर होने जा रहा है। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड नियाल ने सर्वे की जिम्मेदारी एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया एएआइ को सौंपी है। एएआइ एक माह में सर्वे कर नियाल को रिपोर्ट देगी।
बता दें कि नियम के मुताबिक एयरपोर्ट का प्रत्येक तीन साल में ओएलएस सर्वे होना अनिवार्य है। इस सर्वे के तहत जानकारी जुटाई जाती है कि एयरपोर्ट व उसके आस पास के क्षेत्र जिसमें एयरक्राफ्ट चक्कर लगाते हैं, वहां किसी तरह की बाधा तो नहीं है।
नोएडा एयरपोर्ट का इससे पहले ओएलएस सर्वे 2017 में कराया गया था। जिसका मकसद यह सुनिश्चित करना था कि नोएडा एयरपोर्ट के निर्माण में किसी तरह की बाधा नहीं है। एयरपोर्ट के आसपास ऐसा कोई ढांचा, हेरिटेज इमारत, पुरातत्व साइट नहीं है, जिससे कि नोएडा एयरपोर्ट के लिए एनओसी लेने में बाधा हो। इस सर्वे को तकरीबन तीन साल हो चुके हैं। इसलिए दोबारा ओएलएस सर्वे कराया जा रहा है। यह कार्य एक माह में पूरा होगा।
हर तीसरे साल एयरपोर्ट का ओएलएस सर्वे होना जरूरी, अब यह अवधि पूरी हो चुकी है। बताया जा रहा है कि यह सर्वे एक महीने के दौरान पूरा होगा। नोएडा एयरपोर्ट का निर्माण कार्य शुरू करने के लिए नियाल इस माह के अंत तक विकासकर्ता कंपनी यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड को अधिगृहीत 1,334 हेक्टेयर जमीन का लाइसेंस देगी। नागरिक उड्डयन विभाग पहले ही इस जमीन को नियाल के नाम पर लीज कर चुका है।
विकासकर्ता को यह लाइसेंस चालीस साल के लिए दिया जाएगा। इस अवधि में विकासकर्ता कंपनी एयरपोर्ट का निर्माण व संचालन करेगी। संचालन के सातवें साल से नियाल को एयरपोर्ट से राजस्व मिलने लगेगा। नोएडा एयरपोर्ट का ओएलएस सर्वे कराया जा रहा है। इसकी जिम्मेदारी एयरपोर्ट अथारिटी ऑफ इंडिया को दी गई है।