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17 साल की उम्र में इस भारतीय ने इंग्लैंड के खिलाफ ठोका शतक, ढाई घंटे तक डटकर खेला और टाली हार
खेल डेस्क । 17 साल की उम्र में आप क्या कर रहे थे या कर कर रहे हैं? क्योंकि इस उम्र में एक भारतीय बल्लेबाज ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में धूम मचाना शुरू कर दिया था. फिर अगले करीब 20 साल तक इस खिलाड़ी ने क्रिकेट की दुनिया में ऐसा कमाल किया कि नए मुहावरे और लोकोक्तियां गढ़ दी. रिकॉर्ड्स को नए सिरे से खड़ा कर दिया तो आने वाली पीढ़ी के बल्लेबाज के लिए तुलना का एक नया पैमाना तैयार कर दिया. लेकिन इन सब की शुरुआत हुई थी 14 अगस्त 1990 को खेली गई एक पारी से. इस पारी में शतक बना था और उसके टेस्ट करियर का पहला शतक था. फिर उसने आगे जाकर कुल 51 टेस्ट शतक लगाए. यहां बात हो रही है मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) की. उन्होंने अपने टेस्ट करियर का पहला शतक आज ही के दिन (On This Day in Cricket) इंग्लैंड के खिलाफ ओल्ड ट्रेफर्ड मैदान में बनाया था. 17 साल और 112 दिन की उम्र में खेली गई इस शतकीय पारी ने भारत को हार से बचाया था.
भारतीय टीम 1990 में मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में इंग्लैंड गई थी. इस दौरे पर तीन टेस्ट मैच खेले गए. यह सचिन तेंदुलकर का पहला इंग्लैंड दौरा था. सीरीज का दूसरा मैच मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रेफर्ड मैदान में खेला गया. इंग्लैंड ने पहले बैटिंग की. उसने कप्तान ग्राहम गूच (116), माइक आथर्टन (131) और रोबिन स्मिथ (121 नाबाद) शतकों से 519 रन बनाए. भारत की तरफ से नरेंद्र हिरवानी ने सबसे ज्यादा चार विकेट लिए तो अनिल कुम्बले को तीन विकेट मिले. भारत ने भी पहली पारी में अच्छा जवाब दिया. उसने कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन (179), संजय मांजरेकर (93) और सचिन तेंदुलकर (68) की पारियों से 432 रन बनाए. इंग्लैंड को पहली पारी के आधार पर 87 रन की बढ़त मिली.
दूसरी पारी में इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने जीत के मकसद से तेजी से रन बनाए. उन्होंने एलन लैम्ब (109), माइक आथर्टन (74) और रोबिन स्मिथ (नाबाद 61) रन के बूते चार विकेट पर 320 रन बनाए और पारी घोषित कर दी. भारत को जीत के लिए 408 रन का लक्ष्य मिला. इसके जवाब में भारत की शुरुआत खराब रही. ओपनर नवजोत सिंह सिद्धू खाता खोले बिना आउट हो गए. रवि शास्त्री भी 12 रन बनाकर चले गए. दिलीप वेंगसरकर और संजय मांजरेकर ने तीसरे विकेट के लिए हाथ मिलाए और टीम को 100 रन के पार ले गए. मांजरेकर ने दूसरी पारी में भी फिफ्टी लगाई और 50 रन बनाए. मगर इसी स्कोर पर वे आउट हो गए. उनके पीछे-पीछे वेंगसरकर भी चले गए. भारत के चार विकेट 109 रन पर गिर गए.
मोहम्मद अजहरुद्दीन (11) और कपिल देव (26) भी बड़ी पारी नहीं खेल पाए और 183 रन के कुल स्कोर तक पवेलियन लौट गए. ऐसे समय में सचिन तेंदुलकर और मनोज प्रभाकर साथ आए. दोनों ने करीब ढाई घंटे तक मिलकर बैटिंग की और 160 रन की पार्टनरशिप की. इस दौरान सचिन ने टेस्ट करियर का पहला शतक लगाया. वह पाकिस्तान के मुश्ताक मोहम्मद के बाद टेस्ट क्रिकेट में शतक लगाने वाले दूसरे सबसे युवा बल्लेबाज बने. सचिन ने नाबाद 119 रन बनाए. वहीं मनोज प्रभाकर 67 रन बनाकर नाबाद रहे. दोनों टीम को 342 रन तक ले गए और टेस्ट मैच का समय पूरा हो गया. इस तरह सचिन और मनोज ने मिलकर भारत को हार से बचा लिया.