लखनऊ । व्यावसायिक परीक्षा परिषद की ओर से आइटीआइ में प्रवेश के लिए आवेदन प्रक्रिया चल रही है। इसी बीच प्रशिक्षण एवं सेवायोजन निदेशालय ने राजकीय व निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की पूर्प निर्धारित फीस में कोई बढ़ोतरी न करने और अनुसूचित जाति और जनजाति के विद्यार्थियों को निश्शुल्क प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया है।
नए प्रशिक्षण सत्र के लिए राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानो में 40 रूपये प्रति माह (समस्त व्यवसायों हेतु) की दर से प्रशिक्षण शुल्क लिया जाएगा । अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जन-जाति वर्ग के प्रशिक्षार्थियों से किसी भी प्रकार का प्रशिक्षण शुल्क नहीं लिया जाएगा। निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण शुल्क में इंजीनियरिंग व्यवसायों के लिए 18000 रूपये प्रति वर्ष और नान इंजीनियरिंग व्यवसायों हेतु 15,400 रूपये प्रति वर्ष लिया जाएगा। प्रवेशित प्रशिक्षार्थियों से प्रवेश के समय 300 रूपये (एक बार) की धनराशि काशन मनी के रूप में ली जाएगी, जो प्रशिक्षण पूर्ण होने के पश्चात वापस होगी। प्रशिक्षार्थियों से राज्य व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद द्वारा निर्धारित परीक्षा शुल्क अलग से लिया जाएगा। वहीं प्राइवेट आइटीआइ एसोसिएशन के मंडल अध्यक्ष राजेंद्र द्विवेदी ने बताया कि सरकार द्वारा निर्धारित फीस ही ली जाएगी। उन्होंने महानिदेशालय से तीसरी शिफ्ट की अनुमति देने की मांग की है। सूबे में 305 राजकीय और 2969 निजी आइटीआइ हैं।
सरकार की ओर से स्थापित किए जा रहे नए संस्थानों को थ्रीपी माडल पर संचालित किया जाएगा। प्रशिक्षण शुल्क सरकारी व निजी संस्थानों के अनुरूप लिया जाएगा। लखनऊ समेत सूबे तीन दर्जन से अधिक व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों का निर्माण किया गया है। इन सभी को सरकार ने बनवाया है। अब इसे निजी हाथों में दिया जाएगा।
व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग के निदेशक कुणाल सिल्कू ने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार ने फीस न बढ़ाने का निर्णय लिया है। पूर्व की भांति सरकारी व निजी संस्थानों में फीस ली जाएगी। प्रदेश के नये राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को थ्रीपी माडल पर संचालित किया जाएगा। संस्थानों में व्यवसायवार गैर राजकीय प्रशिक्षण शुल्क पर प्रवेश लेने वाले अभ्यर्थियों से व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग द्वारा निर्धारित की गयी व्यवस्था के अनुरूप प्रशिक्षण शुल्क लिया जाएगा।