आगरा । सेंट्रल जीएसटी (सीजीएसटी) के आगरा कमिश्नरेट ने गुरुवार को 32.56 करोड़ की टैक्स चोरी का खुलासा किया है। 95 फर्जी फर्म बना कर 184.56 करोड़ रुपये के बोगस बिल जारी करने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में जांच जारी है। आने वाले दिनों में कुछ और लोगों को हिरासत में लिया जा सकता है।
विभाग के अनुसार खुफिया सूचना पर कार्रवाई करते हुए वरुण गुप्ता, ऋषभ मित्तल, विकास अग्रवाल एवं सुनील राठौर की गिरफ्तारी की गई है। आरोप है कि इस पूरे फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड वरुण गुप्ता है। उसके स्वामित्व वाली वर्मिल कंसल्टेंसी के माध्यम से 184.56 करोड़ रुपये के बिलों का फर्जीवाड़ा किया गया।
इन्होंने बिना माल खरीद किए नकली जीएसटी आईटीसी प्राप्त किया। उसके बाद फर्म के माध्यम से अन्य फर्मों को बिल जारी किए। जबकि कहीं भी माल का आदान प्रदान नहीं हुआ। सिर्फ बिल ही जारी किए गए। इन फर्जी इंवाइस पर प्राप्त आईटीसी रुपये 32.56 करोड़ रुपये रही। जिनके नाम पर फर्म बनाई गई, उनको इसकी वास्तु स्थिति की जानकारी नहीं थी। यह कार्रवाई सेंट्रल जीएसटी आयुक्त ललन कुमार के निर्देशन एवं संयुक्त आयुक्त भवन मीणा के निर्देशन में उप आयुक्त पल्लव सक्सेना, सहायक आयुक्त अनिल शुक्ला, अधीक्षक ऋषि देव सिंह, संजय कुमार, सतीश कुमार सिंह, अजय सोनकर, अनुराग सोनी, नीरज पांडेय, विपिन शर्मा, कपिल कुमार आदि ने की।
आरोप है कि इन चारों ने 184.56 करोड़ रुपये के माल की पुर्जी खरीद पर 32.56 करोड़ रुपये की आईटीसी का लाभ बिल बेच कर आगे बढ़ाया। यह सीजीएसटी अधिनियम 2017 की धारा 132 (1) (बी) (सी) के तहत संज्ञेय गैर जमानती अपराध है। इसमें पांच साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि आरोपी और उसके गिरोह ने भोले भाले लोगों को छोटी मोटी रकम का लालच देकर या फिर गुमराह करके फंसा लिया। उनके पहचान पत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड ले लिए गए। इनका प्रयोग फर्जी फर्म का जीएसटी में पंजीकरण कराने एवं बैंक खाता खुलवाने में किया गया। इन फर्मों के माध्यम से कभी कोई सप्लाई ही नहीं दी गई। सिर्फ मांग के अनुसार बिल बेचे गए। टैक्स जमा किए बगैर कागजों में ही आईटीसी की एंट्री आगे बढ़ा दी।