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कर्नाटक ATS का अनोखा ट्रैक रिकॉर्ड, न कोई FIR और न कोई जांच, अब उठी अधिकार बढ़ाने की मांग

कर्नाटक ATS का अनोखा ट्रैक रिकॉर्ड, न कोई FIR और न कोई जांच, अब उठी अधिकार बढ़ाने की मांग

नई दिल्ली । भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) पर 16 साल पहले हुए आतंकी हमले के मामले में इस वक्त तीन आतंकवाद विरोधी टीमें जांच कर रही है.तीसरी टीम को पिछले साल ही इस मामले की जांच में जोड़ा गया है. 28 दिसंबर साल 2005 को हुआ ये आतंकी हमला, बेंगलुरू में पहला आतंकवादी हमला था. हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इन तीन एटीएस यूनिट में से एक का अजीब रिकॉर्ड है, कि वो इससे पहले किसी भी आतंकवाद से संबंधित जांच में शामिल नहीं रही है. वर्तमान में कर्नाटक पुलिस तीन आतंकवाद-रोधी दस्तों (ATS) का इस्तेमाल करती है. यह कर्नाटक पुलिस के अंतर्गत तीन अलग-अलग विभागों के तहत काम करती है. पहला इंटरनल सिक्योरिटी डिवीजन, दूसरा स्टेट इंटेलीजेंस डिपार्टमेंट और तीसरा सेंट्रल क्राइम ब्रांच. तीसरी यूनिट सेंट्रल क्राइम ब्रांच है, इसे पिछले साल ही जांच में शामिल किया गया.

इंटरनल सिक्योरिटी डिवीजन के अंतर्गत आने वाले एटीएस का एक अनूठा ट्रैक रिकॉर्ड है. मुंबई में 26/11 के आतंकी हमलों के बाद 2009 में बनाए जाने के बाद से यूनिट ने न तो एक भी FIR दर्ज की है और न ही किसी आतंकी मामले की जांच की है. इसी तरह की इकाइयों को महाराष्ट्र और नई दिल्ली पुलिस ने भी खड़ा किया था. अपने समकक्षों की तरह एटीएस को राज्य में सभी आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए राज्य पुलिस की नोडल एजेंसी होने का अधिकार है. सूत्र बताते हैं कि हालांकि मुंबई और नई दिल्ली के मुकाबले एटीएस को कर्नाटक में FIR दर्ज करने और आतंकवाद से संबंधित मामलों की जांच करने का कोई अधिकार नहीं दिया गया.


इंटरनल सिक्योरिटी डिवीजन के तहत बनाई गई एटीएस के गठन के बाद बेंगलुरु में तीन बड़े आतंकी हमले हुए. 2010 चिन्नास्वामी स्टेडियम विस्फोट, 2013 भाजपा मुख्यालय विस्फोट और 2014 चर्च स्ट्रीट विस्फोट. भले ही एटीएस आतंकवाद विरोधी के लिए नोडल एजेंसी थी, फिर भी तीनों मामलों की जांच स्थानीय पुलिस और केंद्रीय क्राइम ब्रांच ने की थी. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के रिकॉर्ड के मुताबिक इस्लामिक स्टेट (IS) एजेंटों के साथ कथित संबंध के लिए 2014 से कर्नाटक में 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. राज्य के खुफिया रिकॉर्ड से पता चलता है कि राज्य में अब तक 30 लोगों को कट्टरपंथ और आईएस के सदस्यों के साथ संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. 2014 में कथित तौर पर इस्लामिक स्टेट समर्थक ट्विटर हैंडल चलाने वाले इंजीनियर मेंहदी मसरूर बिस्वास की गिरफ्तारी बेंगलुरु पुलिस के लिए सबसे बड़ी पकड़ में से एक रही है. पुलिस ने चार्जशीट में दावा किया कि बिस्वास इंटरनेट और टेलीविजन पर आईएस की गतिविधियों पर नजर रखते हुए उन लोगों की मदद कर रहा था, जो आईएस में भर्ती होना चाहते थे. इन सभी मामलों की जांच स्थानीय पुलिस सेंट्रल क्राइम ब्रांच की टीम ने की.


इंटरनल सिक्योरिटी डिवीजन के एटीएस में सेवा देने वाले दो अधिकारियों ने यूनिट को पेपर टाइगर बताया है. एक अधिकारी के मुताबिक एटीएस का काम आतंकवाद रोकने के लिए नोडल एजेंसी होने के बावजूद केंद्रीय एजेंसियों से मेमो इकट्ठा करना और उन्हें संबंधित इकाइयों को देना था. मेरे यूनिट में रहने के दौरान, हमने इस मामले में कोई खुफिया जानकारी इकट्ठा नहीं की. हमने विभिन्न इकाईयों से इनपुट लिया और भेज दिया. एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि एटीएस एक नोडल एजेंसी कैसे हो सकती है, जब विभिन्न एटीएस इकाइयों के अधिकारी इनपुट के लिए सीधे बेंगलुरु पुलिस या सीसीबी के पास जाते हैं? यह इकाई निश्चित रूप से वह काम नहीं कर रही है जो उसके समकक्ष कर रहे हैं.


वहीं कर्नाटक के पुलिस प्रमुख, डीजी और आईजीपी प्रवीण सूद ने कहा कि भले ही राज्य में तीन अलग-अलग एटीएस इकाइयां हैं, लेकिन उनकी भूमिका अच्छी तरह से परिभाषित है. पिछले साल हमने बेंगलुरु पुलिस में एटीएस शुरू किया है क्योंकि शहर में अतीत में कई आतंकी हमले हुए थे. यह यूनिट सेंट्रल क्राइम ब्रांच (CCB) के अंतर्गत आती है. अन्य दो एजेंसियों के लिए, उनकी भूमिका खुफिया और इनपुट देना है. उनके मुताबिक एटीएस (आईएसडी) एनआईए और आईबी (खुफिया ब्यूरो) के साथ संपर्क करता है. हालांकि काम कर रहे अधिकारी अभी भी अपनी भूमिका के बारे में स्पष्ट नहीं है. कर्नाटक के नवनियुक्त गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने मंगलवार को विभाग के शीर्ष अधिकारियों से आईएसडी को और अधिकार देने को कहा है ।