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BH सीरीज: किस्तों में दे सकेंगे रजिस्ट्रेशन फीस, राज्य सरकारें अपने हिसाब से वसूलेंगी रोड टैक्स, ये है नया नियम

BH सीरीज: किस्तों में दे सकेंगे रजिस्ट्रेशन फीस, राज्य सरकारें अपने हिसाब से वसूलेंगी रोड टैक्स, ये है नया नियम

नई दिल्ली । केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने गाड़ियों के लिए भारत सीरीज (BH series) की शुरुआत की है. बीएच सीरीज वैसे प्रोफेशनल के लिए उपयुक्त है जो नौकरी के सिलसिले में दूसरे राज्यों में ट्रांसफर लेते हैं. बीएच सीरीज लेने के लिए सरकार ने कुछ खास नियम बनाए हैं जो रजिस्ट्रेशन चार्ज के लिए हैं. नियम में कहा गया है कि गाड़ी के मालिक को उसी राज्य में रजिस्ट्रेशन चार्ज चुकाना होगा जहां वह रहता है. अगर गाड़ी मालिक का घर दिल्ली में है उसका ट्रांसफर पंजाब मे होता है तो रजिस्ट्रेशन का पैसा दिल्ली में चुकाना होगा न कि पंजाब में. हालांकि बीएच सीरीज BH series का रजिस्ट्रेशन नंबर देश के हर राज्य में वैध होगा.

BH series के नियम के मुताबिक, गाड़ी का मालिक दो साल के लिए रजिस्ट्रेशन फी चुका सकता है और बाकी के अमाउंट बाद के वर्षों में किस्तों में दिए जा सकते हैं. यह किस्त 2 के मल्टीपल में होगा. यानी कि गाड़ी मालिक 4,6,8 या 10 साल के लिए किस्त चुका सकता है. सड़क मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ को बताया, शुरू में वाहन मालिक को 15 साल के लिए रजिस्ट्रेशन फी चुकाना होगा. इस दौरान गाड़ी का ट्रांसफर या उसकी शिफ्टिंग होती है तो राज्य सरकार प्रो-रेटा बेसिस पर रजिस्ट्रेशन चार्ज को रीइम्बर्स कर देगी.



अगर पहले से गाड़ी को बीएच रजिस्ट्रेशन मिला है और वह दूसरे राज्य में ट्रांसफर होती है तो नया रजिस्ट्रेशन लेने की जरूरत नहीं होगी. बीएच सीरीज का रजिस्ट्रेशन राज्य सरकारें जारी करेंगी. राज्य सरकारें ही अपने हिसाब से रोड टैक्स वसूलेंगी और यह काम उसी तरह होगा जैसे पहले किया जाता था.

पहले गाड़ियों को दूसरे राज्य में ट्रांसफर करने के लिए उसका दुबारा रजिस्ट्रेशन कराना होता था. यह काम परेशानी खड़ी करता था क्योंकि कागजी कार्यवाही ज्यादा करनी होती थी. यह काम दोनों जगहों पर होता था. जिस राज्य में गाड़ी का मालिक रहता है और उस राज्य में भी जहां गाड़ी ट्रांसफर होती थी. अब ऐसा नहीं होगा. किसी एक ही राज्य में बीएच सीरीज का नंबर मिल जाएगा और ट्रांसफर होने पर रजिस्ट्रेशन का झंझट नहीं रहेगा.


नई गाड़ी खरीदते वक्त ही गाड़ी मालिक बीएच सीरीज ले सकता है. वह जिस राज्य में रहता है या जिस राज्य का एड्रेस प्रूफ उसके पास है, उसके आधार पर बीएच सीरीज का रजिस्ट्रेशन दिया जाएगा. दूसरे राज्यों में गाड़ी के ट्रांसफर की सुविधा सरकारी और प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों को मिलेगी. पहले ऐसे कर्मचारियों को गाड़ी के पेपर ट्रांसफर कराने में कई मुश्किलें आती थीं, परेशानियां बढ़ती थीं जिससे अब छुटकारा मिल जाएगा.

मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 47 के तहत गाड़ी मालिक को वाहन को रजिस्ट्रेशन होने वाले राज्य के अलावा किसी भी दूसरे राज्य में 12 महीने से अधिक समय तक गाड़ी रखने की अनुमति नहीं है. अगर 12 महीने से ज्यादा का वक्त होता है तो गाड़ी मालिक को नया पंजीकरण 12 महीने के निर्धारित समय के भीतर किया जाना है.


मौजूदा समय में अगर पैसेंजर गाड़ी का मालिक दूसरे राज्य में गाड़ी ट्रांसफर कराना चाहता है तो उसे पैरेंट स्टेट (जिस राज्य से गाड़ी खरीदी है) से एनओसी लेना होता है. इसी आधार पर दूसरे राज्य में नया रजिस्ट्रेशन मिलता है. नए राज्य में गाड़ी मालिक को रोड टैक्स चुकाना होता है. इसके बाद गाड़ी मालिक अपने पैरेंट स्टेट में रोड टैक्स को रीइम्बर्स कराने के लिए आवेदन दे सकता है. बाद में पैरेंट स्टेट से उसे प्रो-रेटा बेसिस पर पैसा रिफंड कर दिया जाता है.

नए बीएच सीरीज का नंबर रक्षा कर्मचारी, केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी और प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को दिया जाएगा. हालांकि प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों के ऑफिस 4 या उससे ज्यादा राज्यों में होना जरूरी है.