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गोरखपुर : दस करोड़ की जमीन पर तीस साल से था अवैध कब्जा, प्रशासन ने दस मिनट में खाली कराया
गोरखपुर । जिले के नकहा नंबर दो में नगर निगम की 53 डिसमिल जमीन से कब्जा हटाया गया। जमीन की कीमत तकरीबन 10 करोड़ रुपये है। 30 साल से कुछ लोगों ने जमीन पर कब्जा कर लिया था। मोहल्ला क्लीनिक के लिए जमीन चिह्नित की गई थी। नगर निगम प्रशासन ने जमीन पर पिलर लगा दिया है। नगर आयुक्त अविनाश सिंह से पार्षद प्रतिनिधि काशिम ने नकहा नंबर दो खास भगवानपुर कोइलहवा के अराजी नंबर 465 की जमीन पर कब्जा की शिकायत की थी। इस जमीन को वन निगम ने पौधारोपण के लिए नगर निगम को दिया था। नगर आयुक्त ने प्रवर्तन बल के प्रभारी कर्नल सीपी सिंह को कब्जा हटाने के निर्देश दिए।
जीडीए की अधिग्रहीत जमीन पर बने मकान ध्वस्त करने मंगलवार को मानबेला पहुंची गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) की टीम का नागरिकों ने विरोध शुरू कर दिया। नागरिकों ने बिना मुआवजा कार्रवाई न होने की चेतावनी दी। एक नागरिक ने कार्रवाई न करने के लिए हाइकोर्ट का आदेश दिखाया। इस बीच जेसीबी कीचड़ में फंस गई। बाद में जीडीए की टीम वापस चली गई। जीडीए ने मानबेला, फतेहपुर, मिर्जापुर में जमीन का अधिग्रहण किया है। अधिग्रहण के बाद भी कई लोगों ने जमीन पर मकान बना लिया है। जीडीए अफसरों का कहना है कि सरकारी जमीन पर मकान बनाने वालों को नोटिस भी दिया गया है। सभी को कब्जा हटाने को कहा जा चुका है। मंगलवार को प्रशासन और जीडीए की संयुक्त टीम निर्माण ध्वस्त करने मानबेला पहुंची।
पुलिस बल के साथ पहुंची टीम ने सबसे पहले मकानों में रहने वालों को बाहर निकालना शुरू किया। इसके बाद जेसीबी से निर्माण ध्वस्त किया जाने लगा। अभी कार्रवाई शुरू ही हुई थी कि जेसीबी कीचड़ में फंस गई। काफी प्रयास के बाद भी जेसीबी नहीं निकली। इस बीच कार्रवाई रुकते ही बड़ी संख्या में नागरिक इकट्ठा हो गए और अफसरों से नोकझोंक शुरू कर दी। नागरिकों का आरोप है कि जीडीए को मकान गिराने से पहले मुआवजा देना है। बिना मुआवजा दिए ही निर्माण गिराया जा रहा है। यह नियमों के विपरीत है। एक नागरिक ने मामला कोर्ट में लंबित होने की जानकारी देते हुए कागजात दिखाए। इसके बाद नामित मजिस्ट्रेट ने टीम को वापस लौटने का निर्देश दिया।