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ई-कचरे के निपटारे के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म बना रहा आईआईटी, जानें कैसे काम करेगा यह मॉडल

ई-कचरे के निपटारे के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म बना रहा आईआईटी, जानें कैसे काम करेगा यह मॉडल

टेक डेस्क । मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप, स्पीकर, सीडी प्लेयर, टीवी, रेडिया समेत तमाम इलेक्ट्रॉनिक उपकरण एक समय के बाद बेकार हो जाते हैं, बिल्कुल यूजलेस. यानी हमारे पास उनका कोई इस्तेमाल नहीं रह जाता. ऐसे में वे हमारे लिए कचरा बनकर रह जाते हैं. लेकिन क्या आपने सोचा है कि इस कचरे का निपटारा करना भी हमारे लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है.

इसी चुनौती को दूर करने का बीड़ा उठाया है आईआईटी (IIT) मद्रास ने. हालांकि आईआईटी की ओर से फिलहाल कोशिश की जा रही है, इलेक्ट्रॉनिक कचरे के निपटारे के लिए आईआईटी के शोधार्थी एक अभिनव मॉडल विकसित करने में लगे हैं.

आप ही सोचिए न! जैसे आपका कंप्यूटर जो खराब हो चुका था, वह बेकार पड़ा है और आपने नया लैपटॉप ले लिया. अब आपके लिए तो वह कंप्यूटर बेकार है, लेकिन आपके पास पड़ा मॉनीटर, सीपीयू, कंप्यूटर में लगा एसएमपीएस, उसकी हार्ड डिस्क, रैम या अन्य पार्ट आपके किसी दोस्त के काम आ सकते हैं! ऐसे में आपके पास कचरे के रूप में पड़े सामान का सही उपयोग हो जाएगा. बस यही आइडिया आया, आईआईटी के शोधार्थियों के दिमाग में.

IIT ने बनाया E-Source प्लेटफॉर्म, ऐसे काम करेगा
आईआईटी के शोधार्थियों ने ‘ई-सोर्स’ नाम का आदान-प्रदान प्लेटफॉर्म तैयार किया है. यह इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अपशिष्ट (WEEE Waste) के लिए एक ऑनलाइन बाजार के रूप में काम करेगा और ऐसे सामानों के खरीदारों और विक्रेताओं के बीच एक औपचारिक आपूर्ति श्रृंखला के रूप में काम करेगा. इस पहल का नेतृत्व इंडो-जर्मन सेंटर फॉर सस्टेनेबिलिटी (आईजीसीएस) द्वारा किया जा रहा है.

 सस्टेनेबिलिटी (आईजीसीएस) के फैकल्टी सदस्य सुधीर चेला राजन ने कहा, ‘‘ई-सोर्स एक अनूठा खुला स्रोत प्लेटफॉर्म है जो दिशानिर्देशों के अनुपालन में ई-कचरे का बेहतर तरीके से पता लगाने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग करने की दिशा में विकसित होगा और ई-कचरे की मरम्मत और पुन: उपयोग के अवसरों को बढ़ाने में मदद करेगा.’’


अधिकारियों के अनुसार, इस पहल का उद्देश्य बाजार में उपभोक्ता के उपयोग के बाद उत्पन्न ई-कचरे का पता लगाना और उसे प्राप्त करके एक ‘सर्कुलर इकोनॉमी’ के विकास में ‘इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अपशिष्ट’ को एक प्रमुख संसाधन बनाना है.

फैकल्टी सदस्य सुधीर चेला राजन ने कहा कि एक नए खुले स्रोत समाधान की आवश्यकता है जो डेटा समृद्ध हो, औपचारिक ई-कचरे से निपटने और प्रबंधन में पारदर्शिता की क्षमता का लाभ उठाए. ई-कचरे को संभावित पुन: उपयोग और पुनर्प्रयोजन विकल्पों की तलाश किए बिना आमतौर पर कीमती धातुओं और अन्य उच्च-मूल्य वाली सामग्री के लिए पूरी तरह से ताड़फोड़ दिया जाता है या कचरा निस्तारण स्थलों में डाल दिया जाता है. अवैज्ञानिक पुनर्चक्रण विधियां अपशिष्ट से निपटने वालों और पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं.