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Janmashtami 2021 : जन्माष्टमी के दिन वास्तुदोष को दूर करने के लिए करें ये उपाय, दूर होंगी सभी परेशानियां

Janmashtami 2021 : जन्माष्टमी के दिन वास्तुदोष को दूर करने के लिए करें ये उपाय, दूर होंगी सभी परेशानियां

Janmashtami 2021 : देशभर के मंदिरों में जन्माष्टमी की तैयारिया शुरू हो चुकी है. इस बार जन्माष्टमी 30 अगस्त 2021 को है. पूरे देश में इस त्योहार को धूमधाम से मनाया जाता है. इस खास दिन श्रद्धालु भगवान कृष्ण की भक्ती में लीन रहते हैं. जन्माष्टमी के दिन कई लोग व्रत रखते हैं. इस खास दिन पर मंदिरों में झाकियां सजाई जाती है. मंदिरों में कृष्ण लीला होती है. इस खास दिन पर ज्योतिषों के अनुसार विशेष उपाय करने से वास्तु दोष से जुड़ी समस्या दूर हो जाती है. आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में.
वास्तुदोष होगा दूर
भगवान कृष्ण को बांसुरी बेहत प्रिय है. ज्योतिषों के अनुसार अगर आपके घर में वास्तुदोष की समस्या है तो जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण को बांसुरी अर्पित करें. अगले दिन इस बांसुरी को अपने घर की पूर्व दीवार पर तिरछा करके लगा दें. ऐसा करने से आपकी सभी परेशानियां दूर हो जाएगी.



शास्त्रों में बांसुरी को शांति और समृद्धि का प्रतीक माना गया है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, जिस घर में लकड़ी की बांसुरी रहती है वहां श्री कृष्ण का वास होता है. मान्यता है कि भगवान कृष्ण का आशीर्वाद रहता है,साथ ही घर में हमेशा सुख- समृद्धि बनी रहती है. अगर आपको व्यापार या काम में फायदा नहीं मिल रहा है दुकान या कार्याल्य के मुख्यद्वार पर दो बांसुरी लगाएं. जन्माष्टमी के खास दिन पर बांसुरी को अच्छे से सजाकर श्री कृष्ण की पूजा करें.


भगवान कृष्ण को बांसुरी बहुत प्रिय है इसलिए इसे पूजनीय और पवित्र माना गया है. इसकी मंत्रमुग्ध करने वाली धुन सुनने से सकारात्मक उर्जा सक्रिय होती है. वस्तु शास्त्र के अनुसार अगर आपके घर में नकारात्मक उर्जा का वास है तो चांदी की बांसुरी खरीदें. इस खास दिन बांसुरी की पूजा करें और ड्राईंग रूम में लगाएं.



ज्योतिषों के अनुसार अगर किसी भी दंपति में अन बन रहती है या किसी पर से रिश्तों में तनाव रहता है तो जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण को बांसुरी अर्पित करें. इसके बाद इस बांसुरी को अपने बैडरूम में रखें. अगर आपके घर में कोई व्यक्ति बीमार रहता है तो उसके सिरहाने के पास बांसुरी रखने से स्वास्थ्य अच्छा होता है.

( नोट- यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है. )