लखनऊ: आवास विकास (Avas Vikas Parishad) की अवध विहार योजना (Awadh Vihar Yojna) में भ्रष्टाचार इस कदर हावी है कि एक दुकान की ऊंची बोली लगाने के बाद भी छह बार नीलामी निरस्त कर दी गई. बाबू ने घूस न मिलने पर इस कारनामे को अंजाम दिया. अवध बिहार योजना के अलकनंदा अपार्टमेंट में दुकान के लिए आवेदक से मोबाइल पर लेन-देन का दबाव डालने का ऑडियो वायरल होने के बाद बाबू पर कार्रवाई हुई. आवास विकास ने बाबू को निलंबित कर दिया है और विभागीय जांच के आदेश दिए हैं. पूरे मामले में अपर आवास आयुक्त नीरज शुक्ला ने यह कार्रवाई की है. उन्होंने इस मामले की जांच एक माह के भीतर कर रिपोर्ट देने के लिए जांच अधिकारी को कहा है. निलंबित किए गए कनिष्ठ लेखाधिकारी महेन्द्र नाथ शुक्ला को जांच अधिकारी के कार्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया है.
अलकनंदा अपार्टमेंट की एक दुकान की नीलामी पहले अक्तूबर 2020 में हुई थी. इसमें हरप्रीत भाटिया ने सबसे अधिक 5.40 लाख रुपये की दुकान के लिए सर्वाधिक नौ लाख रुपये की बोली लगाई. उनको दुकान बेचने की बजाय नीलामी निरस्त कर दी गई. इसके बाद दोबारा इसी दुकान की नीलामी हुई. इस बार भी सर्वाधिक बोली 8.80 लाख रुपये की हरप्रीत भाटिया ने ही लगाई. इस बार भी नीलामी निरस्त कर दी गई. इस तरह कुल छह बार नीलामी हुई और सबसे ज्यादा बोली लगने के बाद भी उसे निरस्त कर दिया गया.
तंग आकर हरप्रीत भाटिया ने जुलाई माह में योजना का काम देख रहे बाबू महेन्द्र शुक्ला को फोन किया. बाबू ने सीधे तौर पर बिना कमीशन दुकान मिलने की संभावना से इनकार कर दिया. यह ऑडियो वायरल हुआ तो उसकी क्लिप के साथ अवध विहार योजना के सम्पत्ति प्रबंधक ने बाबू के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई करने के लिए चिट्ठी लिखी. जांच के बाद आवास आयुक्त ने बाबू को निलंबित कर दिया. बताया जा रहा है कि बाबू पर आरोप तय होने के बाद आवास विकास को राजस्व नुकसान की भरपाई हो सकती है. छह बार नीलामी में संपत्ति लगाने पर परिषद को आर्थिक क्षति पहुंची है.