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प्रयागराज: यूपी पुलिस और पीएसी के कांस्टेबल सर्विस रूल्स में हो सकता है बदलाव, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार को दिया निर्देश। .
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को उत्तर प्रदेश नागरिक पुलिस और पीएसी कांस्टेबल भर्ती के यूपी पुलिस कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल सर्विस रूल्स में संशोधन पर विचार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि एक ही भर्ती परीक्षा में अभ्यर्थी की लंबाई दो बार नापे जाने का औचित्य नहीं है।
वहीं यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति एमएन भंडारी एवं न्यायमूर्ति एससी शर्मा ने राज्य सरकार की विशेष अपील खारिज करते हुए दिया है। याची अमन कुमार के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि याची ने कांस्टेबल भर्ती के लिए आवेदन किया था। शारीरिक दक्षता परीक्षा में उसकी लंबाई निर्धारित मानक 168 सेमी से कम पाई गई। उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।
एकल पीठ के आदेश पर सीएमओ द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड ने उसकी लंबाई जांची तो याची 168 सेमी से अधिक लंबा निकला। इस पर कोर्ट ने उसकी नियुक्ति पर विचार करने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार ने इस आदेश को विशेष अपील में चुनौती दी है।
वहीं सरकारी वकील का कहना था कि भर्ती नियमावली के अनुसार शारीरिक दक्षता परीक्षा में मानक के अनुरूप लंबाई पाए जाने के बाद ही मेडिकल कराने का प्रावधान है जिसमें दोबारा लंबाई की जांच होती है।
एकल पीठ ने शारीरिक दक्षता परीक्षा में अनफिट अभ्यर्थी की मेडिकल जांच कराने का आदेश देते समय इस तथ्य की अनदेखी की है। खंडपीठ ने कहा कि जब एकल पीठ के आदेश से मेडिकल जांच कराई गई है तो उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। लेकिन सरकार इस पर पुनर्विचार करे कि शारीरिक दक्षता और मेडिकल जांच दोनों में लंबाई नापने का औचित्य नहीं है।
क्योंकि यदि दोनों के परिणाम में अंतर आएगा तो भर्ती बोर्ड का परीक्षण स्वयं में विरोधाभासी हो जाएगा। कई राज्यों में लंबाई और सीने की नाप एक बार ही की जाती है। खंडपीठ ने यह भी कहा कि न्यायालयों को भी ऐसे मामलों में रूटीन तरीके से मेडिकल जांच करने का आदेश देने से बचना चाहिए।