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यूपी: वाराणसी में बाढ़ से बिगड़ रही स्थिति, एक मंजिल तक डूबे मकान, गलियों में चल रही नाव।
वाराणसी। बाढ़ से स्थिति लगातार बिगड़ रही है। गंगा और उसकी सहायक नदी वरुणा पलट प्रवाह के कारण खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। शहर के निचले और ग्रामीण इलाकों में बाढ़ से हाहाकार है। मंगलवार रात आठ बेजे गंगा का जलस्तर 71.90 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान से 64 सेंटीमीटर ऊपर है। एक सेंटीमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से बढ़ाव भी जारी रहा।
बाढ़ के कारण कई कालोनियों में पानी घुस गया है। कुछ मुहल्लों में एक मंजिल तक पानी में डूब गए हैं। लोगों ने या तो पलायन कर लिया है या ऊपरी मंजिल पर आसरा लिया है। गलियों में अब नावें ही सहारा बनी हुई हैं। हजारों परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है। एनडीआरएफ के साथ ही पुलिस-प्रशासन भी मुस्तैद है।
वाराणसी में अब तक की सबसे बड़ी बाढ़ 1978 में आई थी। उस समय गंगा का जलस्तर 73.90 मीटर पहुंच गया था। इसे वाराणसी में बाढ़ का उच्चतम बिंदु माना जाता है। 2013 में 72.63 मीटर और 2016 में 72.56 मीटर तक गंगा का जलस्तर पहुंचा था। 2019 में भी खतरे का निशान पार कर गंगा का जलस्तर 71.46 मीटर तक पहुंचा था।
बाढ़ के कारण रामनगर, नगवां, दशाश्वमेध और जलासेन घाट पर बने सीवर पंपिंग स्टेशन (एसटीपी) डूब गए हैं। दीनापुर, गोइठहां, भगवानपुर और रामनगर के एसटीपी भी काम करना बंद कर दिए हैं। करसड़ा स्थित कूड़ा निस्तारण केंद्र में पानी घुसने से वहां कूड़ा गाड़ियां नहीं जा पा रही हैं। राजघाट स्थित मालवीय पुल से जो ट्रेनें सामान्य दिनों में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गुजरती थीं उन्हें 10 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आवाजाही के लिए कहा गया है।
बाढ़ से प्रभावित होने वाले रिहायशी इलाकों में सामने घाट क्षेत्र का मारुती नगर, शिवाजी नगर, गायत्री नगर, रत्नाकर नगर, मदरवा, रमना, नगवा, रामनगर, सूजाबाद, डोमरी और चौबेपुर के ढाब क्षेत्र के दर्जन भर से ज्यादा गांव हैं। वरुणा किनारे जैतपुरा, आदमपुर और सारनाथ क्षेत्र के करीब 30 मुहल्लों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है। डीएम कौशल राज शर्मा ने बताया कि 17 बाढ़ राहत शिविर बनाए गए हैं।
आज सात कम्युनिटी किचन शुरू किए जाएंगे। सभी सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर उन्हें बाढ़ राहत कार्य में ड्यूटी के लिए तैयार रहने को कहा गया है।वाराणसी में बाढ़ से स्थिति लगातार बिगड़ रही है। गंगा और उसकी सहायक नदी वरुणा पलट प्रवाह के कारण खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। शहर के निचले और ग्रामीण इलाकों में बाढ़ से हाहाकार है। मंगलवार रात आठ बेजे गंगा का जलस्तर 71.90 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान से 64 सेंटीमीटर ऊपर है। एक सेंटीमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से बढ़ाव भी जारी रहा।