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यूपी: लखनऊ में तीन बार मिली आजादी, इतिहासविद् रवि भट्ट ने पलटे इतिहास के पन्‍ने।

यूपी: लखनऊ में तीन बार मिली आजादी, इतिहासविद् रवि भट्ट ने पलटे इतिहास के पन्‍ने।


उत्तर प्रदेश। लखनऊ में एक नहीं, तीन बार आजादी मिली। पहली तारीख 19 अक्टूबर 1819, दूसरी 30 मई 1857 और तीसरा ऐतिहासिक दिन 15 अगस्त 1947 वहीं इतिहासविद् रवि भट्ट ने बताया कि 19 अक्टूबर 1819 को अवध के सातवें नवाब गाजीउद्दीन हैदर ने मुगल साम्राज्य से अलग स्वयं को स्वतंत्र शासक घोषित किया। 30 मई 1857 को रेजीडेंसी की घेराबंदी शुरू हुई जो 25 नवंबर 1857 तक चली। उन्होंने बताया कि देश की आजादी की लड़ाई की शुरुआत 1857 में हुए विद्रोह को माना जाता है। 

वहीं अंग्रेजों ने इसे सैनिक विद्रोह की संज्ञा दी, पर वास्तव में यह देश में फैले व्यापक जन असंतोष का परिणाम था। वीर सावरकर ने इसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम नाम दिया। यह संग्राम भारत में अंग्रेजों से आजादी की पहली व्यापक लड़ाई थी। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में देश के हर जाति, धर्म और तबके के लोगों ने हिस्सा लिया।

30 मई 1857 को मडिय़ांव में ब्रिटिश सेना के भारतीय सैनिकों ने विद्रोह कर ब्रिटिश सेना के अधिकारियों को मौत के घाट उतार दिया था। क्रांतिकारियों ने वहां पर अंग्रेज अफसरों के घरों और चर्च को भी जला दिया। वहां से भागकर ब्रिटिश सेना के अफसरों व सैनिकों ने रेजीडेंसी में शरण ली। हमले की सूचना के बाद सर हेनरी लॉरेंस ने लखनऊ में हमला करने के लिए सैनिकों की टोली रवाना की। क्रांतिकारियों के सामने चिनहट में ब्रिटिश सेना टिक नहीं सकी। 

बल्कि कुछ मौके पर मारे गए, बाकी रेजीडेंसी पहुंच गए। क्रांतिकारियों के हमले से परेशान ब्रिटिश सेना ने रेजीडेंसी के चारों ओर सुरक्षा घेरा बनाकर खुद को सुरक्षित करने की कोशिश की। यहां हजारों की संख्या में ब्रिटिशर्स महीनों नजरबंद रहे। बाहर से क्रांतिकारी अकसर रेजीडेंसी के मुख्य द्वार पर हमले करते थे, जिसमें शुरुआती दौर में स्वयं हेनरी लॉरेंस मारा गया। रेजीडेंसी पर गोला बारूद के निशान अब भी मौजूद हैं। 1857 की क्रांति में ब्रिटिश सेना प्रमुख सर हेनरी लॉरेंस, हैवलक, हडसन और जनरल नील प्रमुख थे, सभी मारे गए।

भारत के वायसराय के रूप में लार्ड माउंटबेटन थे। लार्ड माउंटबेटन ने द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी सालगिरह के तौर पर 15 अगस्त को भारत की आजादी के लिए चुना। एक और रोचक कहानी है, वह यह कि अंग्रेज 30 जून 1948 तक भारत को आजाद करना चाहते थे। वहीं, माउंटबेटन रॉयल नेवी के चीफ बनने के लिए इंग्लैंड वापस जाना चाहते थे, इसलिए भी उन्होंने अपने लाभ में भारत को जल्दी आजादी दे दी।


15 अगस्त के दिन भारत के अलावा पांच और देश आजाद हुए थे। आजादी का वर्ष अलग-अलग है, पर तारीख एक। बहरीन ब्रिटेन से, कॉन्गो फ्रेंच से, लैंकेस्टिन जर्मनी से आजाद हुआ। लैंकेस्टिन दुनिया का छठा सबसे छोटा देश है। इसके अलावा नार्थ कोरिया, साउथ कोरिया जापान से अलग हुए।