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यूपी: वाराणसी में गंगा घाटों पर जमा मिट्टी के शीघ्र निस्तारण के लिए नमामि गंगे ने दिए आवश्यक दिशा निर्देश।

यूपी: वाराणसी में गंगा घाटों पर जमा मिट्टी के शीघ्र निस्तारण के लिए नमामि गंगे ने दिए आवश्यक दिशा निर्देश।

                                 विनीत जयसवाल रिपोर्टर।

वाराणसी। बाढ़ के बाद गंगा घाटों पर जमा मिट्टी के त्वरित और शीघ्र निस्तारण हेतु मिट्टी की सफाई कार्य में लगे हुए नमामि गंगे द्वारा नियुक्त विशाल प्रोडक्शन फोर्स के कर्मचारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। शुक्रवार को नमामि गंगे के संयोजक राजेश शुक्ला ने अस्सी घाट पर की जा रही सफाई का अवलोकन किया। नमामि गंगे द्वारा नियुक्त घाटों की सफाई हेतु जवाब देह विशाल प्रोडक्शन फोर्स को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। वाराणसी के 84 घाटों पर गंगा द्वारा छोड़ी गई मिट्टी के शीघ्र निस्तारण करने को कहा।

वहीं राजेश शुक्ला ने कहा कि मां गंगा का जल अब धीरे-धीरे घट रहा है जिसकी वजह से घाटों पर मिट्टी जमा है । वाराणसी के अस्सी घाट सहित आध्यात्मिकता से ओतप्रोत 84 घाटों पर रोजाना हजारों की संख्या में पर्यटक मां गंगा के तट का आनंद लेने के लिए आते हैं । भारत की सांस्कृतिक विरासत सहेज रहे इन घाटों पर जमा मिट्टी के अति शीघ्र निपटारे के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए हैं। 

नगर निगम के संयोजन में विशाल प्रोडक्शन फोर्स द्वारा वाराणसी के घाटों पर जमा मिट्टी के शीघ्र निस्तारण की व्यवस्था की जा रही है । हमारा प्रयास रहेगा कि घाटों पर जमा मिट्टी का अति शीघ्र निस्तारण हो जाए। अस्सी घाट पर रामजनम, राजकुमार, वीरेंद्र निषाद और नमामि गंगे दौरान नियुक्त कर्मचारीगण मिट्टी के निस्तारण कार्यों में लगे हैं ।

वहीं गंगा का जल स्तर घट रहा है। रिहायशी इलाकों को पानी छोड़ चला है लेकिन सिल्ट व गंदगी से इलाके के रहनवारों की दुश्वारियां कम नहीं हुई हैं। हालात ऐसे हैं कि नगर निगम की ओर से राहत कार्य ऊंट के मुंह में जीरा के समान साबित हो रहा है। सरैयां से लेकर सामनेघाट तक की गलियों व सड़कों पर सिल्ट जमा है। घरों में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक बीमार हो रहे हैं। 

संक्रमण का खतरा सिर पर मंडरा रहा है लेकिन स्वास्थ्य महकमा की ओर से जो इंतजाम किए गए हैं वह धरातल पर कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में स्वास्थ्य महकमा की टीम नदारद है जबकि कागजों पर वे जमकर मेहनत कर रहे हैं। हालात ऐसे ही रहे तो संक्रमण की रोकथाम की कवायद सिर्फ बयानबाजी तक ही सीमित रह जाएगी। वरुणा के तटीय क्षेत्र सरैया इलाकों की स्थिति काफी खराब हो चुकी है। 

गंदगी, कीचड़, बजबजाते जलजमाव ने नारकीय हालात बना दिए हैं। दुर्गंध से लोगों का रहना मुश्किल हो गया है। वहीं गंदगी से अब डायरिया, दस्त जैसी बीमारी के चपेट में प्रभावित लोग आने लगे हैं। यदि अभी भी नगर निगम व स्वास्थ्य महकमा नहीं चेता तो हालात और विषम हो जाएंगे। इलाके रहनवारों का कहना है कि कीटनाशक दवा का छिड़काव अब तक नहीं हुआ है।