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यूपी: गाज़ीपुर के भदौरा गांव में उप स्वास्थ्य केंद्र हैं खुद बीमार, तब कैसे हो ग्रामीणों का उपचार।

यूपी: गाज़ीपुर के भदौरा गांव में उप स्वास्थ्य केंद्र हैं खुद बीमार, तब कैसे हो ग्रामीणों का उपचार।


गाज़ीपुर। यूपी-बिहार सीमा पर कर्मनाशा नदी के सटे भदौरा की स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी हो चली है। क्षेत्र के अधिकांश उप स्वास्थ्य केंद्र खुद बीमार पड़े हैं। गर्भवती महिलाओं व नवजात शिशुओं को चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही है। शासन बदहाल चिकित्सा सेवा को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन जिम्मेदार अफसर बेफ्रिक हैं। बात कर रहे हैं भदौरा गांव के एएनएम सेंटर की। जहां जच्चा-बच्चा के इलाज के लिए लोगों को मुश्किलें उठानी पड़ रही हैं।

आरोप है कि शिकायत के बावजूद स्वास्थ्य अधिकारी लापरवाह बने हैं। यहां नियुक्त एएनएम कभी-कभार गांव में आती हैं और कागजी कोरम पूर्ति कर चली जाती हैं। इससे नवजात शिशुओं व गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण के लिए भटकना पड़ता है। तीन दशक पूर्व लाखों की धनराशि खर्च कर एएनएम सेंटर स्थापित कर भवन बनाया गया, ताकि भतौरा सहित दलपतपुर गांव की महिलाओं व बच्चों को टीकाकरण सहित अन्य जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं गांव में ही मिल सके। 

चार वर्ष पूर्व यहां एक एएनएम की तैनाती भी कर दी गई है, लेकिन सेंटर का भवन जर्जर होने के कारण उन्होंने यहां रहना बंद कर दिया है। वे सीएचसी भदौरा से आकर गांव में किसी व्यक्ति के घर से ही टीकाकरण तथा अन्य कार्य करती हैं। इसके चलते लाखों खर्च के बाद भी यह भवन पूरी तरह से निष्प्रयोज्य पड़ा हुआ है। यही कारण है कि ग्रामीणों ने भवन में मवेशियों का भूसा व परिसर में मवेशियों को बांध कर कब्जा जमा लिया है। इन गांव की महिलाओं को जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए करीब पंद्रह किलोमीटर दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भदौरा तक जाना पड़ता है।

बता दें कि गांव निवासी योगेंद्र राय, रमेश राय, शिवकुमार राय, रामप्रताप यादव, अजीत यादव आदि लोगों के मुताबिक कई बार विभागीय अधिकारियों से शिकायत की गई, लेकिन कोई निराकरण नहीं हो सका।गांव के बाहर सुनसान स्थान पर सेंटर होने के चलते एएनएम वहां नहीं रहती हैं। भवन भी काफी जर्जर हो चुका है, उसमें रहना खतरनाक साबित हो सकता है। भवन की जर्जरता की जानकारी डा. धनंजय आनंद, चिकित्सा अधीक्षक सीएचसी भदौरा विभागीय अधिकारियों को दी गई है।