
लखनऊ । यूपी में कोरोना संक्रमण की चेन तोडऩे के लिए किए गए बेहतर मैनेजमेंट के कारण ही दूसरी लहर पर काबू पाया जा सका। कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए किए गए बेहतर उपायों की विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) व नीति आयोग ने भी प्रशंसा की है। खुद कोरोना संक्रमित होने के बावजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लगातार स्थिति पर नजर रखी और रिपोर्ट निगेटिव आते ही वह ग्राउंड जीरो पर उतर गए। यही कारण है कि 30 अप्रैल 2021 को संक्रमितों की संख्या 3.10 लाख थी और अब रोगियों की संख्या घटकर 420 रह गई है। दूसरी लहर पर प्रभावी ढंग से काबू पाया गया।
प्रदेश में ट्रेस, टेस्ट व ट्रीट (ट्रिपल टी) का फार्मूला सख्ती से के साथ लागू किया गया। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के लक्षण युक्त रोगियों की पहचान के लिए घर-घर मेडिकल टीमें भेजी गईं। अब तक 17.25 करोड़ लोगों की मेडिकल स्क्रीनिंग की जा चुकी है। 80 हजार निगरानी कमेटियां भी गठित की गईं। कोरोना के लक्षण युक्त रोगियों की पहचान कर उनकी जांच कराई गई। देश में अब तक सबसे ज्यादा 6.94 करोड़ लोगों का कोरोना टेस्ट यूपी में हुआ है। टेस्ट में संक्रमित पाए जाने वाले मरीजों के बेहतर इलाज की व्यवस्था भी की गई।
टीकाकरण अभियान में भी यूपी ने सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। देश में छह करोड़ से ज्यादा टीके लगाने वाला राज्य उप्र है। सरकारी व निजी कार्यालयों और प्रतिष्ठानों में करीब 69 हजार हेल्प डेस्क बनाई जा चुकी हैं, यहां थर्मल स्कैनर व पल्स आक्सीमीटर की मदद से लोगों की स्क्रीनिंग की जाती है। ऐसे राज्य जहां कोरोना का संक्रमण ज्यादा है और पाजिटिविटी रेट तीन प्रतिशत से अधिक है। वहां से आ रहे लोगों को कोरोना की जांच रिपोर्ट या फिर दोनों टीके लगाए जाने का प्रमाण पत्र दिखाने पर ही प्रवेश दिया जा रहा है। संक्रमण कम होने के बावजूद पर्याप्त सर्तकता बरती जा रही है।