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वाराणसी : काशी का सबसे प्राचीन मंदिर, जहां भगवान श्रीराम भी टेक चुकें हैं मत्था
वाराणसी । महादेव की नगरी काशी (Kashi) का इतिहास सदियों पुराना है. धर्म और आध्यात्म के इस नगरी में हजारों शिव मंदिर है,जिनका अपना ऐतिहासिक महत्व है. काशी के दक्षिणी छोर से लगभग पांच किलोमीटर दूर कंदवा में कर्दमेश्वर महादेव (Kardmeshwar Mahadev Temple) का मंदिर है. इसे काशी का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है. काशी के प्रसिद्ध पंचकोशी यात्रा का ये पहला पड़ाव भी है. रावण को मारने के बाद ब्रह्म हत्या दोष से मुक्ति के लिए भगवान श्रीराम भी काशी में पंचकोशी यात्रा (kashi Panchkoshi Yatra) के दौरान यहां दर्शन को आए थे।
12 वीं शताब्दी के आस पास चंदेल वंश के राजाओं ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, कर्दम ऋषि ने यहां तपस्या कर शिवलिंग की स्थापना की थी. इसी कारण इसका नाम कर्दमेश्वर महादेव पड़ा. यहां दर्शन पूजन से भक्तों को सारे कष्ठों से मुक्ति मिल जाती है.
काशी का ये मंदिर आपको खजुराहो के मंदिर की झलक दिखती हैैं. मंदिर के दक्षिण में बनी आकृतियां आपको खजुराहो मंदिर का एहसास कराएगी. मंदिर के शिखर पर गुप्तकालीन मूर्ति कला की झलक भी आप देख सकेंगे. इसके अलावा मंदिर का नक्काशीदार शिखर आपको अपनी ओर आकर्षित करेगा.
इस मंदिर के विषय में केसरी न्यूज़ ( KESHARI NEWS24 ) संवाददाता सौरभ त्रिपाठी ने जिले के क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ सुभाष चंद यादव से बातचीत की। उन्होंने बताया कि पुरातत्व विभाग के दस्तावेजों के मुताबिक, वाराणसी के ये मंदिर सबसे पुराना मंदिर है. लगभग 12 वीं शताब्दी के आस पास इस मंदिर का निर्माण हुआ था. मंदिर के बाहरी दीवारों देवी देवताओं की मूर्ति स्थापित है और ये मन्दिर उत्तर प्रदेश पुरातत्विक विभाग की देख रेख में पूरी तरह से सुरक्षित है.