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चंदौली : देर रात संयुक्त चिकित्सालय में छाया अंधेरा, मोबाइल टार्च की रोशनी में देखे जाते हैं मरीज

चंदौली : देर रात संयुक्त चिकित्सालय में छाया अंधेरा, मोबाइल टार्च की रोशनी में देखे जाते हैं मरीज

चंदौली । चकिया स्थित जिला संयुक्त चिकित्सालय में रात के वक्त अक्सर अंधेरा रहता है। बुधवार की आधी रात चिकित्सालय की पड़ताल की तो चौंकाने वाली स्थिति सामने आई। चिकित्सालय के दो वार्डों में अंधेरा था। कुछ मरीज अपना बेड छोड़कर गलियारे में तीमारदारों के साथ उमसभरी गर्मी से राहत लेते नजर आए। कुछ मरीज मजबूरन बेड पर लेटे थे। तीमारदार मोबाइल टार्च जलाकर उन्हे दवा आदि खिला रहे थे। मरीजों ने बताया कि यह सिर्फ एक रोज नहीं, अक्सर ऐसी स्थिति रहती है। अस्पताल में 24 घंटे बिजली के लिए स्वतंत्र फीडर, जनरेटर की व्यवस्था होने के बावजूद ऐसी स्थिति है।

कहने को तो सौ सैय्या वाले संयुक्त चिकित्सालय में सारी सुविधाएं हैं। बिजली रहे न रहे, लगातार 24 घंटे विद्युत आपूर्ति के लिए चिकित्सालय में स्वतंत्र फीडर की स्थापना की गई है। स्थानीय विद्युत उपकेंद्र से सीधे 132 केवी लाइन से जोड़ा गया है। इसके अलावा पूरी क्षमता वाला सोलर पैनल लगा है। दर्जनों इनवर्टर जगह-जगह लगाए गए हैं। यही नहीं विकट परिस्थितियों के लिए 125 व 45 केवी का दो जनरेटर है। बावजूद इसके भर्ती मरीजों के वार्ड में अंधेरा छाया रहना समझ से परे है। यह स्थिति कई दिनों से बनी हुई है। जब भी बिजली की आपूर्ति ठप होती है, अंधेरा हो जाता है।

संयुक्त चिकित्सालय में भर्ती अभय (15), मोनी यादव (19) निवासी अमरसीपुर (शहाबगंज) के पिता रत्नेश्वर ने बताया कि पुत्र व पुत्री डायरिया से पीड़ित हैं, इन्हे आज ही भर्ती कराया। रात्रि आठ बजे से बिजली गुल है। दोनों को ड्रिप लगा है। मोबाइल का टार्च जलाकर पानी का बोतल बदलवाना मजबूरी है। कमोवेश ऐसी ही व्यथा डायरिया से पीड़ित गनेशपुर गांव की भर्ती मरीज राधिका (22) के पिता विक्रमा की थी। ढोढनपुर गांव निवासी बड़कू मौर्य ने बताया कि पुत्री आंचल को लेकर पिछले तीन दिनों से अस्पताल में हैं। रोज रात में बिजली गुल हो जाती है। मोमबत्ती व मोबाइल टार्च का सहारा लेना पड़ता है। मुजफ्फरपुर के मरीज तीन वर्षीय नीतीश यादव के पिता चंद्रदीप, मझुई भुड़खुड़ा निवासी मरीज लालसा (30) के पति सौरभ शर्मा सहित परिवार के अन्य सदस्य वार्ड के बाहर गलियारे में मरीजों को लेकर बैठे थे। पूछने पर बताया कि उमस भरी गर्मी से परेशान होकर गलियारे में आकर बैठना पड़ा। ड्यूटी में लगे कर्मचारियों से कहते-कहते थक गए। लेकिन वार्ड में रोशनी की व्यवस्था नहीं हुई।