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Covid 19: वैक्सीन लगवा चुके लोगों को भी क्यों हो जाता है कोरोना? इन चार वजहों से बढ़ता है पॉजिटिव होने का खतरा

Covid 19: वैक्सीन लगवा चुके लोगों को भी क्यों हो जाता है कोरोना? इन चार वजहों से बढ़ता है पॉजिटिव होने का खतरा

लंदन । कोविड-19 वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) की दूसरी डोज लेने के दो हफ्ते बाद वैक्सीनेशन के सुरक्षात्मक प्रभाव सबसे ऊंचे स्तर पर होते हैं. दूसरी खुराक लेने के बाद आपका वैक्सीनेशन पूरा हो चुका होता है. अगर इसके बाद भी आप कोविड-19 की चपेट में आ जाते हैं तो इसे संक्रमण का “आक्रमण” यानी ‘ब्रेकथ्रू इंफेक्शन’ (Breakthrough Infection) कहेंगे. यह संक्रमण टीका नहीं लगाए लोगों में नियमित तौर पर होने वाले कोविड-19 के समान ही होता है, लेकिन कुछ मामलों में इसमें अंतर होता है. दोनों डोज लगवा लेने के बाद आपको किन बातों का ध्यान रखना है, इसे समझते हैं.

कोविड लक्षणों की स्टडी के मुताबिक किसी ब्रेकथ्रू संक्रमण के पांच सबसे आम लक्षण सिरदर्द, नाक बहना, छींकना, गले में खराश और गंध की कमी है. इनमें से कुछ ऐसे ही लक्षण वैक्सीन नहीं लगवाए हुए लोगों में भी दिखते हैं. यदि आपको टीका नहीं लगा है तो सबसे आम तीन लक्षणों में सिरदर्द, गले में खराश और नाक बहना भी हैं. टीका नहीं लगवाए लोगों में दो अन्य सबसे आम लक्षण बुखार और लगातार खांसी हैं. कोविड-19 के ये दो ‘विशेष’ लक्षण टीकाकरण होने के बाद आम नहीं रह जाते हैं. एक स्टडी में पाया गया है कि बिना टीकाकरण वाले लोगों की तुलना में ब्रेकथ्रू संक्रमण वाले लोगों में बुखार होने की संभावना 58 प्रतिशत कम होती है. बल्कि, टीकाकरण के बाद कई लोगों को कोविड-19 होना सिर में ठंड लगने जैसा महसूस होने के रूप में बताया गया है.

ब्रिटेन में, अनुसंधान में पाया गया कि 0.2 प्रतिशत आबादी – या प्रत्येक 500 में से एक व्यक्ति – पूरी तरह से टीकाकरण के बाद ब्रेकथ्रू संक्रमण का अनुभव करता है. लेकिन हर किसी को एक जैसा खतरा नहीं होता. टीकाकरण से आप कितनी अच्छी तरह सुरक्षित हैं, इसमें चार चीजें अहम तौर पर शामिल दिखाई देती हैं.


पहला कारण है कि आपको कौन से प्रकार का टीका लगा है और प्रत्येक प्रकार द्वारा संक्रमण का जोखिम कितना कम होता है. जोखिम में कमी का मतलब है कि कोई टीका किसी ऐसे व्यक्ति की तुलना में कोविड-19 होने के जोखिम को कितना कम करता है, जिसे टीका नहीं लगा है.


लेकिन ये आंकड़े पूरी तस्वीर नहीं पेश करते. यह तेजी से स्पष्ट होता जा रहा है कि टीकाकरण के बाद का समय भी महत्वपूर्ण है और यही कारण है कि बूस्टर टीके पर बहस तेजी से बढ़ रही है.


एक अन्य महत्वपूर्ण कारक वायरस का स्वरूप है जिससे आप संक्रमित हुए हैं. ऊपर दिए गए जोखिम में कमी की गणना बड़े पैमाने पर कोरोन वायरस के मूल स्वरूप के खिलाफ टीकों का परीक्षण करके की गई थी. लेकिन वायरस के बदले स्वरूपों पर कुछ टीके कम प्रभावी पाए गए हैं.


यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि उपरोक्त आंकड़े किसी आबादी में औसत जोखिम में कमी को दर्शाते हैं. आपका खुद का जोखिम आपकी प्रतिरक्षा के स्तर और अन्य व्यक्ति-विशिष्ट कारकों पर निर्भर करेगा (जैसे कि आप वायरस के संपर्क में कैसे आ सकते हैं, जो आपकी नौकरी से निर्धारित हो सकता है).


प्रतिरक्षा प्रणाली का सामर्थ्य आमतौर पर उम्र के साथ कम हो जाता है. दीर्घकालिक चिकित्सा स्थितियां भी टीकाकरण के प्रति हमारी प्रतिक्रिया को कमजोर बना सकती हैं. इसलिए वृद्ध लोगों या कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में कोविड-19 के खिलाफ टीकों से मिली सुरक्षा का स्तर कम हो सकता है या उन्हें मिली सुरक्षा जल्दी से समाप्त हो सकती है.


टीके अब भी आपको कोविड-19 होने की आशंका को काफी कम कर देते हैं. वे अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु से भी काफी हद तक सुरक्षा करते हैं. ब्रेकथ्रू संक्रमणों को देखते हुए, चिंता बढ़ रही है कि यदि टीका सुरक्षा समय के साथ कमजोर पड़ती है, जैसा संदेह है, तो ऐसे संक्रमण बढ़ सकते हैं.