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यूपी: वाराणसी त्योहार से पहले महंगाई डायन ने फैलाया सुरसा जैसा मुह, रसोई में थाली तक का बिगड़ा जायका।
वाराणसी। कोरोना की पहली लहर में जरूरी सामानों की कीमतों में उछाल ने आम लोगों की कमर तोड़ी, लेकिन दूसरी लहर में महंगाई का असर कम दिखा। अब तीसरी लहर आने से पहले ही जरूरी सामान के दाम में उछाल शुरू हो गया है। चीनी का स्वाद कड़वा तो सरसों का तेल तीखा लगने लगा है। एक पखवारे पहले तक 40 रुपये किलो बिकने वाली चीनी ने 10 फीसद का उछाल मारा तो सरसों का तेल 160 से 180 रुपये लीटर पहुंच गया। यही हाल रिफाइन तेल का भी है। नतीजा घरों में सब्जी तो बन रही है, लेकिन पकौड़ी का बनना बंद कर दिया गया। पहले रिफाइन का रेट सरसों तेल से कम हुआ करता था, लेकिन वह भी बरारबरी पर है।
वहीं दूसरी तरफ आटा का स्थिर भाव कुछ राहत ताे दे रहा है, लेकिन सरसों का तेल, रिफाइन, चीनी और दाल की कीमतों में इजाफा होेने से समस्या बढ़ी है। उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि आखिर किचन के बजट को मैनेज कैसे करें। गृहिणियों के किचन के बजट पर आटा का स्थिर भाव मरहम लगा रहा तो दाल, तेल और रिफाइन का दाम दम निकालने पर आमादा है।चने की दाल ने भी राहत दी है, 80 से घटकर 75 रुपये किलो बिक रहा है। सबसे ज्यादा मुश्किल तो सरसों के तेल से हो रही है। इससे पहले 150 रुपये पर पहुंचा सरसों का तेल फिर 175 पर जा पहुंचा। रिफाइन आयल 160 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। अरहर की दाल ने भी आंखें तरेरी है, साै से 110 रुपये पहुंच गया है। किराना सामानों के व्यापारी सुमित अग्रवाल कहते हैं कि उच्च स्तर पर स्टाक को होल्ड करने के कारण सरसों के तेल की कीमत में उछाल आया है।
बता दें कि महंगाई से हर कोई परेशान है। जनता का कहना है कि सबकुछ अच्छा करने के बाद अगर सरकार महंगाई पर लगाम नहीं लगा पा रही है, तो गलत है। सरकार को अपनी जिम्मेदारी समझने की जरूरत है। वहीं अनु सिंह ने कहा कभी बारिश के मौसम में हर दिन नाश्ते में पकौड़ी छनती थी, लेेकिन अब तो बीते दिनों की बात हो गई है। कारण कि सरसों का तेल महंगा होता जा रहा है। कचहरी क्षेत्र की प्रीति मोदनवाल ने कहा कि अब तो महंगाई का असर स्वाद पर भी पड़ने लगा है। सब्जी में तेल की बचत करने पर स्वाद नहीं मिल पाता। आलोक गुप्ता ने कहा कि अब तो सामान ले जाने के बाद घर में बताना पड़ता है कि तेल को हिसाब से खर्च करना। कोट के जावेद परेशान हैं कि कभी सब्जी को फ्राई करके बनाते थे, लेकिन सरसों के तेल की आग में उसे भूनकर ही काम चलाना पड़ता है।