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यूपी: वाराणसी में बैट्री और इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़े कदम, जहरीले धुएं को लेकर एनजीटी भी जता चुकी है नाराजगी।
वाराणसी। तेजी से बढ़ते प्रदूषण से हो रहे नुकसान को लेकर अब नागरिक जागरूक होने लगे हैं। प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को खरीदने से बचने के साथ अब उनका रुझान सीएनजी वाहनों की ओर है, यही कारण है कि शोरूम पर सीएनजी वाहनों की वेटिंग है। वहीं, अब लोग बैट्री व इलेक्ट्रिक वाहनों पर भी जोर दे रहे हैं। ई-रिक्शा, कार और दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहन ले रहे हैं। वहीं जरूरत के मुताबिक बाजार में इलेक्ट्रिक वाहन कम उपलब्ध होने पर इंतजार के लिए भी तैयार हैं। ई-रिक्शा के अलावा शहर में कुछ ही शोरूम पर स्कूटी बाजार में उपलब्ध है।
वहीं वाहनों का धुंआ सबसे अधिक खतरनाक है। कई शहरों में सात से 10 साल तक के पुराने वाहनों को बाहर किया जा रहा है। बनारस में बढ़ते प्रदूषण को लेकर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने नाराजगी जाहिर करते हुए पुराने वाहनों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। प्रदूषण जांच केंद्रों पर वाहनों की गंभीरता से जांच करने के लिए कहा है।
बता दें कि परिवहन कार्यालय में साढ़े नौ लाख से अधिक छोटे-बड़े वाहन पंजीकृत हैं। इनमें करीब तीन लाख वाहन 15 साल पुराने हैं। परिवहन विभाग ने 1.83 लाख वाहन को कंडम घोषित करने के साथ स्वामियों को नोटिस जारी किया है। गत वर्षों में बनारस दौरे पर आई एनजीटी की टीम ने भी जिला प्रशासन के अलावा परिवहन अधिकारियों पर नाराजगी जाहिर की थी।
वहीं परिवहन मंत्रालय ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर कहा कि यात्री वाहन में ई-रिक्शा का पंजीयन प्राथमिकता पर करें। अन्य कंपनी इलेक्ट्रिक वाहन लेकर आती है तो उसका पूरा सहयोग करें। डीलर और गाड़ी मालिक को किसी तरह परेशानी नहीं होनी चाहिए, ऐसा न हो कि कागजी कोरम में इलेक्ट्रिक वाहन का शोरूम न खोलें।
1. 8509 ई-रिक्शा।
2. 81 ई-कार।
3. 374 स्कूटी।
4. 04 कार।
वहीं सर्वेश चतुर्वेदी, एआरटीओ वाराणसी प्रशासन ने बताया कि बढ़ते प्रदूषण को लेकर इलेक्ट्रिक या बैट्री चालित वाहनों पर ज्यादा जोर है। व्यवसायिक ई-रिक्शा के पंजीयन पर सरकार की ओर से कोई संख्या तय नहीं की गई है, जबकि अन्य वाहनों पर शासन से दिशा-निर्देश मिलते रहते हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों का प्राथमिकता पर पंजीयन किया जाता है।