
वाराणसी। शादी शुदा महिलाओं के आगे श्रीमती लगाने की परंपरा को बीएचयू ने अब खत्म करने का निर्णय लिया है। पुरुषों के नाम के आगे श्री लगने से उनके वैवाहिक स्थिति का पता नहीं चलता था। मगर महिलाओं के नाम के आगे सुश्री होने से उनके अविवाहित और उसके बाद श्रीमती लगते ही उनके विवाहित होने का पता चल जाता था। महिलाओं की लंबे समय से मांग थी कि जब पुरुषों के नाम के साथ उनका वैवाहिक जीवन नहीं उजागरण होता तो महिलाओं के साथ ही यह बाध्यता क्यों।
अब बीएचयू ने महिलाओं की इस मांग को जायज मानते हुए उनके नाम के साथ श्रीमती शब्द को हटा दिया है। दरअसल महिलाओं की वैवाहित स्थिति को उजागर करता यह सवाल बीएचयू की एक महिला प्रोफ़ेसर ने तीन साल पहले पत्र के जरिए उठाया था। इस सवाल को नजीर मानते हुए और इसे गंभीरता से लेते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने देश में पहली बार एक अनोखी शुरुआत की है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ऐसा पहला विश्वविद्यालय देश में बन गया है जहां पर महिला शिक्षकों के नाम के आगे उनकी वैवाहिक हालात का उल्लेख नहीं होगा। यानी उनके नाम के आगे 'श्रीमती' जैसी कोई स्थिति नहीं होगी।