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चीन ने बनाया सबसे हैवी रॉकेट, स्पेस में भेज सकता है 100 हाथी जितना वजनी उपग्रह!

चीन ने बनाया सबसे हैवी रॉकेट, स्पेस में भेज सकता है 100 हाथी जितना वजनी उपग्रह!

        ( अब तक भारत का सबसे ज्यादा ताकतवर )

नई दिल्ली । चीन ने हाल ही में एक नए सॉलिड रॉकेट मोटर का परीक्षण किया है. इससे उसकी अंतरिक्ष गतिविधियों को नई ऊंचाई पर ले जाने में मदद मिलेगी. बीते सप्ताह 19 अक्टूबर को किए गए इस परीक्षण ने दुनिया को हैरत में डाल दिया है. इस रॉकेट की परिधि 11.48 फीट है और यह करीब 500 टन वजनी सामान को अंतरिक्ष में ले जा सकता है. इसमें 150 टन सॉलिड फ्यूल भरा जा सकता है. यह दुनिया का अब तक का सबसे ताकतवर और बड़ा रॉकेट है

.इस मोटर का विकास एकेडमी ऑफ एयरोस्पेस सॉलिड प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी (एएएसपीटी) ने किया है. यह चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन (सीएएससी) का हिस्सा है. वेबसाइट स्पेस डॉट कॉम ने इस बारे में रिपोर्ट प्रकाशित की है.



इस रिपोर्ट में सीएएससी के हवाले से कहा गया है कि रॉकेट का परीक्षण बेहद सफल रहा. इस रॉकेट पर 500 टन का बोझ डालकर देखा गया. ऐसा 115 सेकेंड तक चला. 500 टन के बोझ का अनुमान आप इसी से लगा सकते हैं कि एक हाथी का औसत वजन पांच टन के आसपास होता है. ऐसे में चीन इस रॉकेट से करीब 100 हाथी के वजन के बराबर भार अंतरिक्ष में पहुंचा सकता है।

एएएसपीटी की प्रमुख रेन क्वानबीन का कहना है कि हम बड़े सॉलिड इंजन रॉकेट के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय लेवल से आगे हैं और आने समय में हम 1000 टन वजन ले जाने में सक्षम रॉकेट बनाएंगे. इससे अंतरिक्ष तकनीक में चीन काफी आगे जा सकता है.

भारत के पास जो सबसे ताकतवर रॉकेट है उसका नाम GSLV Mk III है. GSLV Mk III यानी जियोसिक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल. इसको इसरो ने बनाया है. इसी से भारत के दूसरे चंद्रयान का प्रक्षेपण किया गया था. GSLV Mk III करीब 4 टन वजन के उपग्रह को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (Geosynchronous Transfer Orbit) में भेज सकता है. इसके अलावा यह रॉकेट धरती की नजदीकी कक्षा (Low Earth Orbit) में 10 टन के उपग्रह को भेज सकता है.


अमेरिका, रूस, चीन, जापान और यूरोपीय देशों के पास अभी सबसे ताकतवर रॉकेट हैं. उनकी वजन उठाने की औसत क्षमता करीब 22 टन है जो भारत के पास मौजूद रॉकेट से करीब ढाई गुना अधिक है. SpaceX कंपनी का Falcon Heavy रॉकेट अभी दुनिया में इस्तेमाल किया जा रहा सबसे ताकतवर रॉकेट है. इसी रॉकेट से करीब 50 साल पहले अपोलो अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर उतारा गया था.