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Dussehra 2021: राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद जवानों के साथ मनाएंगे विजय दशमी, कारगिल युद्ध के नायकों को देंगे श्रद्धांजलि
नई दिल्ली । राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) इस साल सैनिकों के साथ लद्दाख के द्रास इलाके में दशहरा (Dussehra) मनाएंगे. द्रास दुनिया के सबसे ठंडे स्थानों में से एक है, यहां तापमान -40 डिग्री से भी नीचे पहुंच जाता है. राष्ट्रपति अब उस परंपरा को तोड़ते नजर आ रहे हैं, जब वो आमतौर पर दिल्ली में हर साल दशहरा समारोह में भाग लेते थे. बुधवार को राष्ट्रपति भवन की तरफ से जारी एक आधिकारिक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि राष्ट्रपति कोविंद 14 और 15 अक्टूबर (गुरुवार और शुक्रवार को दो दिवसीय यात्रा) को लद्दाख और जम्मू-कश्मीर का दौरा करेंगे.
बुधवार को राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, राष्ट्रपति आज लद्दाख के द्रास की यात्रा करेंगे और कारगिल युद्ध स्मारक पर 1999 के कारगिल युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे. इस बीच, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने गुरुवार को दशहरे की पूर्व संध्या पर नागरिकों को शुभकामनाएं दीं. राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा, “विजयादशमी के पावन अवसर पर, मैं भारत और विदेशों में रहने वाले अपने सभी साथी नागरिकों को हार्दिक बधाई देता हूं.” उन्होंने कहा कि विजयादशमी बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है और भगवान राम का व्यक्तित्व और उनका आचरण हम सभी के लिए एक आदर्श है.
रिलीज के मुताबिक केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की अपनी यात्रा के पहले दिन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद लेह के सिंधु घाट पर सिंधु दर्शन और पूजा करेंगे. ये रिवरबैंक अपने सुंदर और प्राकृतिक परिदृश्य के लिए जाना जाता है. ये लेह में शे गांव के पास स्थित है और पृष्ठभूमि में बंजर पहाड़ों के साथ कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मेजबानी करता है. द्रास को लद्दाख का प्रवेश द्वार माना जाता है. यह अपने हाई एल्टीट्यूड वाले ट्रेकिंग वे और पर्यटन स्थलों के लिए प्रसिद्ध है. रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मिलिट्री पॉइंट भी है. यहां भारतीय सेना के जवानों को नियंत्रण रेखा (LoC) की रक्षा के लिए पूरे साल ऊंचाई और ठंडे तापमान का सामना करना पड़ता है.
कारगिल विजय दिवस 2021 पर राष्ट्रपति ने खराब मौसम के कारण द्रास की यात्रा रद्द कर दी थी, जहां उन्हें युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण करना था. 2019 में भी खराब मौसम के कारण राष्ट्रपति कारगिल विजय दिवस में भाग लेने के लिए द्रास नहीं जा पाए थे. इसके बजाय उन्होंने श्रीनगर के बादामीबाग में सेना के 15 कोर मुख्यालय में एक युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी.