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Navratri Kanya Pujan 2021: आज महाष्टमी पर इन मुहूर्त में भूलकर भी न करें कन्या पूजन, नोट करें विधि, सामग्री लिस्ट व दक्षिणा से जुड़ी मान्यता

Navratri Kanya Pujan 2021: आज महाष्टमी पर इन मुहूर्त में भूलकर भी न करें कन्या पूजन, नोट करें विधि, सामग्री लिस्ट व दक्षिणा से जुड़ी मान्यता

Navratri Kanya Pujan 2021: नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। 13 अक्टूबर, बुधवार को दुर्गा अष्टमी या महाष्टमी है। 14 अक्टूबर, गुरुवार को महानवमी मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इन दोनों ही तिथियों में कन्या पूजन किया जाता है। अगर आप भी करने जा रहे हैं कन्या पूजन तो जान लीजिए पूजन विधि, सामग्री लिस्ट और शुभ मुहूर्त-


कन्या पूजन के लिए नौ कन्याओं और एक लड़के की आवश्यकता होती है। नौ कन्याओं को मां का स्वरूप और लड़के को भैरव का स्वरूप मानकर पूजा की जाती है।

अगर आपको नौ कन्याएं नहीं मिल रही हैं तो आप जितनी कन्याएं हैं उनका ही पूजन कर लें। बाकी कन्याओं के हिस्से का भोजन गाय को खिला दें।
सबसे पहले कन्याओं और लड़के के पैरों को स्वच्छ जल से धोएं और उन्हें आसन पर बिठाएं।

सभी कन्याओं और लड़के को तिलक लगाएं।
इसके बाद कन्याओं और भैरव स्वरूप लड़के की आरती करें।

कन्याओं को भोजन खिलाएं। कन्याओं को भोजन खिलाने से पहले मंदिर में मां को भोग अवश्य लगा लें।

कन्याएं जब भोजन कर लें तो फिर उन्हें प्रसाद के रूप में फल दें और अपने सामर्थ्यानुसार दक्षिणा अवश्य दें।

सभी कन्याओं और भैरव स्वरूप लड़के के चरण स्पर्श भी करें।

कन्याओं को सम्मान पूर्वक विदा करें। ऐसा माना जाता है कि कन्याओं के रूप में मां ही आती हैं।



जल- सबसे पहले कन्याओं के पैर धोएं जाते हैं। कन्याओं के पैर धोने के लिए साफ जल रख लें। आप गंगाजल से भी कन्याओं के पैर धो सकते हैं।

साफ कपड़ा- कन्याओं के पैर धोने के बाध पैरों को पोछने के लिए एक साफ कपड़ा रख लें।

रोली- कन्याओं के माथे पर तिलक लगाने के लिए।

चावल (अक्षत)- कन्याओं के माथे में अक्षत भी लगाएं।

कलावा- कन्याओं को तिलक लगाने के बाद उनके हाथ में कलावा भी बांधें।

पुष्प- कन्याओं पर पुष्प भी चढ़ाएं। 

चुन्नी- कन्याओं को उढ़ाने के लिए चुन्नी की जरूरत भी होती है।

फल- आप अपने इच्छानुसार फल कन्याओं को खिला सकते हैं।

मिठाई- कन्याओं के लिए मिठाई भी ले लें।

भोजन सामग्री- हलुवा, पूड़ी, चने, आदि कन्याओं के लिए भोजन सामग्री।


कन्या पूजन के बाद कन्याओं को दक्षिणा देने का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कन्याओं को दक्षिणा देने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं। 


राहुकाल- दोपहर 12 बजे से 01 बजकर 30 मिनट तक।

यमगंड- सुबह 07 बजकर 30 मिनट से 09 बजे तक।
 
गुलिक काल- सुबह 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक। 

दुर्मुहूर्त काल- दोपहर 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक। 

भद्राकाल- सुबह 06 बजकर 21 मिनट से 08 बजकर 54 मिनट तक।