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Papankusha Ekadashi 2021: जानिए शुभ दिन की तिथि, समय, महत्व,मंत्र और पूजा विधि के बारे में -
धर्म । एकादशी हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है क्योंकि ये भगवान विष्णु को समर्पित है. ये शुभ दिन चंद्र पखवाड़े के प्रत्येक ग्यारहवें दिन पड़ता है.
आमतौर पर, एक वर्ष में 24 एकादशी होती हैं- शुक्ल और कृष्ण पक्ष के दौरान एक महीने में दो एकादशी होती हैं. हालांकि, हिंदू चंद्र कैलेंडर में अधिक मास (लीप मास) को जोड़ने पर एकादशियों की संख्या बढ़कर 26 हो जाती है.
ये लगभग 32 महीनों में एक बार होता है, इसलिए इस वर्ष, भक्त दो अतिरिक्त एकादशी व्रत रखेंगे, जिनमें से एक कल, 16 अक्टूबर, 2021 को मनाया जाएगा. शुक्ल पक्ष के अश्विन माह की एकादशी को पापंकुशा एकादशी के रूप में जाना जाता है.
इस दिन, हिंदू एक दिन का उपवास रखते हैं और स्वस्थ, समृद्ध और संपन्न जीवन के लिए भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. साथ ही, हिंदू मान्यता के अनुसार, इस दिन व्रत रखने वाले भक्त जन्म चक्र से मोक्ष प्राप्त करते हैं.
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना पूरे विधि विधान से करने पर भक्तों की समस्त मनोकामनाएं स्वत: ही पूर्ण हो जाती हैं. इसलिए इस दिन भगवान विष्णु का पूरे तन मन से ध्यान करें ताकि आपके जीवन का भाग्योदय ही हो.
दिनांक- 16 अक्टूबर, 2021
एकादशी तिथि शुरू- 15 अक्टूबर 2021 को शाम 06:02 बजे
एकादशी तिथि समाप्त- 16 अक्टूबर 2021 को शाम 05:37 बजे
पारण समय- 17 अक्टूबर 2021 को सुबह 06:23 से 08:40 बजे तक
हिंदू ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने पांडव राजा युधिष्ठिर को पापंकुशा एकादशी का महत्व बताया था. महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद, राजा युधिष्ठिर अपने रिश्तेदारों को मारकर युद्ध के दौरान किए गए पापों से छुटकारा पाना चाहते थे. तो भगवान कृष्ण ने उसे सलाह दी और राजा से भगवान पद्मनाभ की पूजा करने को कहा.
-सुबह जल्दी उठें, नहाएं और साफ कपड़े पहनें.
– भगवान पद्मनाभ की पूजा करें, पहले तिलक करें और फिर फूल, अगरबत्ती, प्रसाद आदि चढ़ाएं.
– मंत्रों का जाप करें, विष्णु पुराण और कथा का पाठ करें.
– आरती कर पूजा का समापन करें.
हिंदू ग्रंथों के अनुसार, एकादशी प्राण सूर्योदय के बाद किया जाता है, जो कि एकादशी व्रत के अगले दिन होता है. द्वादशी तिथि के भीतर पारण करना आवश्यक होता है, अन्यथा ये अपराध के समान माना जाता है.
ऊं नमो भगवते वासुदेवाय ||