Headlines
Loading...
UP : धर्मांतरण मामले में फंसे IAS इफ्तिखारुद्दीन को सस्पेंड करेगी योगी सरकार! SIT की रिपोर्ट में हुए हैं बड़े खुलासे

UP : धर्मांतरण मामले में फंसे IAS इफ्तिखारुद्दीन को सस्पेंड करेगी योगी सरकार! SIT की रिपोर्ट में हुए हैं बड़े खुलासे


लखनऊ । धर्मांतरण को लेकर विवादित वीडियो मामले में फंसे उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के आईएएस अधिकारी इफ्तिखारुद्दीन (IAS Iftikharuddin) पर राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Government) बड़ी कार्यवाही कर सकती है. असल में इफ्तिखारुद्दीन धर्मांतरण मामले में गठित जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है. जिसमें ये साफ हो गया है कि उन्होंने कानपुर के आयुक्त रहते हुए सरकारी बंगले का दुरुपयोग किया और उन्होंने किताबें भी उन्होंने लिखी. पिछले महीने ही उनके कुछ वीडियो सामने आए थे, जिसमें उन्हें धर्मांतरण के फायदों को बता रहे हैं.

फिलहाल माना जा रहा है कि इफ्तिखारुद्दीन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. क्योंकि सरकारी अफसर होने के कारण वह नियमों से बंधे हैं. लेकिन एसआईटी ने जो रिपोर्ट शासन को सौंपी में उसमें ये साफ हो गया है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया है. नियमों के मुताबिक दोष सिद्ध होने पर उन्हें सरकारी सेवा से बर्खास्त भी किया जा सकता है. यही नहीं राज्य सरकार उन्हें सस्पेंड भी कर सकती है. असल में इस मामले में एसआईटी ने कानपुर के पूर्व कमिश्नर इफ्तिखारुद्दीन को सरकारी पद और संसाधनों के दुरुपयोग का दोषी माना है और एसआईटी ने शासन को अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी है और अब उनके खिलाफ कार्रवाई को लेकर मंथन चल रहा है. बताया जा रहा है कि राज्य सरकार जल्द ही इस पर फैसला ले सकती है.

सरकारी आवास पर मजलिसें करते थे इफ्तिखारुद्दीन
फिलहाल आईएएस इफ्तिखारुद्दीन वर्तमान में यूपी परिवहन विभाग के अध्यक्ष हैं. लेकिन राज्य में पूर्व की सपा सरकार के दौरान वह कानपुर के कमिश्नर के पद पर थे और इस दौरान वह अपने सरकारी आवास पर धार्मिक सभाएं आयोजित करते थे. इस बात को उन्होंने एसआईटी के सामने भी माना है और बताया है कि विवादित वीडियो उनके सरकारी आवास के ही है. यही नहीं इन वीडियो में वह इफ्तिखारुद्दीन धर्मांतरण के फायदे गिना रहे थे. फिलहाल एसआईटी को 80 वीडियो मिले हैं और इसी आधार पर एसआईटी ने 207 पन्नों की अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी है. इसके साथ ही उन्होंने तीन किताबें भी लिखी हैं, जिन्हें बिहार के सीवान से छपवाया गया है.


दरअसल राज्य में ये मामला सामने आने के बाद पिछले महीने सीबीसीआईडी डीजी जीएल मीणा और एडीजी कानपुर भानु भास्कर की दो सदस्यीय एसआईटी का गठन किया गया था. ऐसआईटी ने एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन ने सरकारी पद पर रहते हुए धर्म विशेष के प्रचार किया है और अपने पद का दुरुपयोग किया है. इसके लिए एसआईटी ने कमीशनर आवास में नियुक्त कर्मचारियों से भी पूछताछ की है. जिससे साफ पता चलता है कि दूसरे धर्म के लोगों से इफ्तिखारुद्दीन को नफरत थी और उन्होंने अपने आवास पर ज्यादातर कर्मचारी मुस्लिम ही रखे थे.