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यूपी: वाराणसी के दीनदयाल अस्पताल का पोषण पुनर्वास केंद्र अब भी बंद, खुलने का इंतजार।
वाराणसी। कोरोना की दूसरी लहर लगभग पूरी तरह समाप्त हो गई है। सभी अस्पताल, संस्थान, प्रतिष्ठान आदि खुल गए है, लेकिन पांडेयपुर स्थित पं. दीनदयाल अस्पताल में बना पोषण पुनर्वास केंद्र कोरोना काल से ही बंद पड़ा है। महीनों से इसके खुलने का इंतजार है। हालांकि तब तक जनपद में पोषण पुनर्वास केंद्र का संचालन इस समय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शिवपुर से हो रहा है। यह पोषण पुनर्वास केंद्र कुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। लॉक डाउन के बाद पोषण पुनर्वास केंद्र ने 38 बच्चों को सुपोषित किया है। इस केंद्र का मुख्य उद्देश्य कुपोषित और अति-कुपोषित बच्चों को सुपोषित करना है। इस केंद्र में आरबीएसके टीम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से कुपोषित एवं अति-कुपोषित बच्चों को लाया जाता है। साथ ही कुछ बच्चे ओपीडी के माध्यम से भी भर्ती होते हैं।
बता दें कि सीएमएस डॉ० आर.के. सिंह ने बताया कि पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय में पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना सितंबर 2015 में हुई थी। पोषण पुनर्वास केंद्र को लॉक डाउन के बाद पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय से शिवपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में शिफ्ट कर दिया गया था। यह पोषण पुनर्वास केंद्र पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय की देख-रेख में ही चलाया जा रहा है। शासन की मंशा के अनुरूप आने वाले समय में स्थितियां सामान्य होते ही इस केंद्र को फिर से पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय में शिफ्ट कर दिया जायेगा।
वहीं चिकित्सा अधीक्षक (एमएस) डॉ. आरके यादव ने बताया कि इस केंद्र में वर्तमान में 8 बच्चे भर्ती हैं। एनआरसी वार्ड में पर्याप्त सुविधायें हैं। बच्चों के खेलने के लिए खिलौने भी हैं। गर्मियों में पंखे और सर्दियों में रूम हीटर चलते हैं। कुपोषित बच्चों को पहचान कर आरबीएसके की टीम आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एनआरसी में भर्ती कराते हैं।
वहीं पोषण पुनर्वास केंद्र एक ऐसी सुविधा है जहां छह माह से 5 वर्ष तक के गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे जिनमें चिकित्सकीय जटिलताएं होती हैं, को चिकित्सकीय सुविधाएं मुफ्त में प्रदान की जाती हैं। इसके अलावा बच्चों की माताओं को बच्चों के समग्र विकास हेतु आवश्यक देखभाल तथा खान-पान संबंधित कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है। कोविड-19 की पहली लहर के बाद से 48 कुपोषित बच्चों को भर्ती किया गया है। जिसमें से 38 को नई जिंदगी दी जा चुकी है। एक बच्चे को बीएचयू रेफर किया गया है। तथा 8 बच्चे डिफाल्टर हैं।
शिवपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में स्थित एनआरसी वार्ड में नोडल डॉ एके गुप्ता, मेडिकल ऑफिसर डॉ सौरभ सिंह, 3 स्टाफ नर्स मनीषा राय, श्वेता बीना यादव, पूनम यादव, एक केयरटेकर बिन्दु चौरसिया, कुक शीला देवी, डाइटिशियन विदिशा शर्मा हैं। डाइटीशियन विदिशा शर्मा ने बताया यहाँ पर पहले बच्चों का एपेटाइट टेस्ट (भूंख की जांच) की जाती है, फिर वार्ड में भर्ती किया जाता है। इस वार्ड में कुपोषित बच्चों को कम से कम 14 दिन या अधिकतम 21 दिन तक भर्ती करके उपचार किया जाता है। उनके खान-पान पर विशेष ध्यान दिया जाता है। जैसे दूध से बना हुआ अन्नाहार, खिचड़ी, F-75 व F-100 यानी प्रारम्भिक दूधाहार, दलिया, हलवा इत्यादि, साथ में दवाइयां एवं सूक्ष्म पोषण तत्व जैसे आयरन, विटामिन-ए, जिंक, मल्टी विटामिंस इत्यादि भी दी जाती हैं।
वहीं जन्म के कुछ महीनों के बाद सेवापुरी ब्लाक के अंतर्गत ठठरा गांव के देवगन की बेटी बेबी कुपोषण की चपेट में आ जाने से अति-कुपोषित हो गयी थी। उस पर जब आरबीएसके टीम के डॉ ज्योति भूषण की नजर पड़ी तो डॉ ज्योति भूषण ने बच्ची के पिता देवगन एवं माता सरिता को शिवपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थित एनआरसी वार्ड के बारे में जानकारी दी। जहां उसे बेहतर इलाज और पौष्टिक भोजन दोनों नि:शुल्क दिया जा रहा है। इसके बाद बेबी को 23 अक्टूबर को एनआरसी में भर्ती करवाया गया जहां उसका इलाज चल रहा है। भर्ती होने के समय उसका वजन 2.860 किलोग्राम था। अब उसका वजन 3.080 हो गया है। बेबी की माँ सरिता ने बताया कि सुधार प्रतिदिन होता दिखाई दे रहा है।
ब्लॉक पिंडरा के गांव राजपुर के निवासी बसंत पटेल ने बताया कि मेरे जुड़वा बच्चे लव और कुश जोकि एक साथ 15 दिसंबर 2019 को पैदा हुए थे। जिसमें कुश कुपोषण की चपेट में आ गया था। ऐसे में आरबीएसके टीम के डॉ अनिल कुमार जायसवाल की नजर कुश पर गई तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुशीला देवी के सहयोग से बच्चे के बाबा को शिवपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थित एनआरसी वार्ड के बारे में जानकारी दी। जहां उसे बेहतर इलाज और पौष्टिक भोजन दोनों निःशुल्क दिया जाता है। इसके कुश को 12 अक्टूबर को एनआरसी में भर्ती करवाया गया। जहाँ उसका इलाज चल रहा है। भर्ती होने के समय उसका वजन 4.330 किलोग्राम था, लेकिन अब 4.900 किलोग्राम हो गया है। कुश के बाबा ने बताया ने बताया कि बच्चे में काफी सुधार हुआ है, बच्चा की स्थिति दिन-प्रतिदिन अच्छी हो रही है।