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वाराणसी : लक्ष्मी-गणेश बनाने वालों से रूठीं ‘लक्ष्मी’, दीवाली पर अपना घर ही नहीं कर पाता रोशन

वाराणसी : लक्ष्मी-गणेश बनाने वालों से रूठीं ‘लक्ष्मी’, दीवाली पर अपना घर ही नहीं कर पाता रोशन

वाराणसी। दीपो के पर्व दीपावली के दिन सभी अपने घरो में लक्ष्मी के आगमन के लिए लक्ष्मी गणेश का पूजन करते हैं लेकिन अजीब विडंबना है कि उसे गढ़ने वाले कुम्हार पर लक्ष्मी की कृपा नहीं हो पाती। दीपावली के तैयारियों में जहां एक ओर हर वर्ग लगा है वहीं कुम्हार का पूरा परिवार लोगों के घरों को रौशन करने व सौभाग्य बरसाने में लगा है।

सम्पन्न लोगों ने परिधान एवं पकवान के लिए खाद्यान्य भी खरीद लिए लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इस पर्व में सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले दीप और भगवान गणेश एवं लक्ष्मी की छोटी बड़ी मूर्तियां बनाने में महीनों से से लगे हुए हैं। इसे बनाने वाले कुम्हारों के लिए यह पर्व जीवन यापन का एक बड़ा जरिया भी है। इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहेंगे दीपावली के रोज लोग घरों में जिस लक्ष्मी गणेश की पूजन लक्ष्मी आगमन के लिए करते है उसे बनाने वले कुम्हारों के घर लक्ष्मी रूठी हैं। प्रकाश पर्व के नजीदक आते ही कुम्हारों के मिट्टी के दीप एवं मूर्ति बनाने के कार्य में तेजी आ गयी है। लेकिन पारम्परिक मिट्टी की दीप की जगह मोमबत्ती सीसे की बोतले एवं बिजली के झालर मोती ने ले ली है।

दीपावली मे मिट्टी के बने गणेश लक्ष्मी के पूजन का विशेष महत्व है। लेकिन अब चाइना ने भी इस बाजार मे अपनी धाक जमा ली है। बावजूद बड़ी संख्या में लोगा आज भी पारम्परिक लक्ष्मी गणेश की मूर्ति खरीदते हैं। लोगों के घरों में लक्ष्मी की कृपा हो इसके लिए कुम्हार का पूरा परिवार राज दिन लगा है।


एक विशेष जाति के लोग ही मूर्ति का निर्माण करते हैं। शहर के शिवपुर, सोनिया, इंद्रपुर, सरैयां, तरना, करौंदी के आसपास का क्षेत्र पंचक्रोशी, सारनाथ, तिलमापुर और लक्सा के कई घरों मे लक्ष्मी गणेश की मूर्ति बनायी जाती है।


मूर्ति बनाने वाले राजेश प्रजापति, दिनेश, राजमनि, विद्या देवी ने बताया कि मंहगाई के कारण हर चीज की कीमत बढ़ी है। लोगों के घर दीपावली से रौशन हो इसके लिए एक माह से हमारा पूरा परिवार दीये व लक्ष्मी गणेश की मूर्ति बनाने में जुटा है। पारम्परिक कार्य है इसलिए कुछ और नहीं कर सकते मेहनत के सापेक्ष हम लोगों पर लक्ष्मी की कृपा नहीं हो पाती। दीपावली की शाम भी ग्राहकों के इंतजार में बीत जाती है।