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गुरुपर्व से पहले सिखों को मोदी सरकार की सौगात, आज से खुला करतारपुर कॉरिडोर, 08 बिंदुओं में जानें क्यों है खास?
नई दिल्ली । गुरुपर्व से पहले मोदी सरकार ने सिखों को बड़ी सौगात दी है. सरकार ने आज से पाकिस्तान स्थित करतारपुर कॉरिडोर को खोल दिया है. इस फैसले से सिखों में काफी खुशी है. गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कॉरिडोर को खोले जाने की घोषणा की थी. करतारपुर कॉरिडोर पाकिस्तान में स्थित सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव के अंतिम विश्राम स्थल गुरुद्वारा दरबार साहिब को पंजाब के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा से जोड़ता है.
शाह ने कहा कि यह फैसला गुरु नानक देव जी और सिख समुदाय के प्रति मोदी सरकार की अपार श्रद्धा को दर्शाता है. उन्होंने बताया कि देश 19 नवंबर को गुरु नानक देव का प्रकाश उत्सव मनाने की तैयारी कर रहा है और उन्हें विश्वास है कि यह कदम ‘देश भर में खुशी और उत्साह को और बढ़ा देगा.’
01. कोरोना महामारी के कारण दो वर्षों से बंद करतारपुर कॉरिडोर आज से खुल गया है. करतारपुर गलियारे के माध्यम से भारतीय श्रद्धालुओं को पाकिस्तान स्थित दरबार साहिब गुरुद्वारा जाने का मौका मिलता है. दोनों देशों के बीच हुए समझौते के आधार पर भारतीय पासपोर्ट धारकों और भारतीय विदेशी नागरिकता (OCE) कार्ड धारक इस कॉरिडोर के माध्यम से बिना वीजा के पाकिस्तान के दरबार साहिब गुरुद्वारा तक जा सकते हैं. एक दिन में 5 हजार लोग यहां दर्शन करने जा सकते हैं.
02. करतारपुर कॉरिडोर के बनने से पहले लोगों को वीजा लेकर लाहौर के रास्ते दरबार साहिब गुरुद्वारा तक जाना पड़ता था, ये एक जटिल और लंबा रास्ता था. लेकिन करतारपुर कॉरिडोर के बन जाने से यहां तक जाना आसान हो गया. इसके बाद पंजाब स्थित डेरा बाबा नानक को करतारपुर स्थित दरबार साहिब गुरुद्वारा से जोड़ दिया गया.
03. साल 2019 मे 09 नवंबर को पाकिस्तान में स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारे को पहली बार खोला गया था. पाकिस्तान-भारत की सीमा पर मौजूद डेरा बाबा नानक, करतारपुर कॉरिडोर के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. डेरा बाबा नानक दोनों देशों की सीमा से 1 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है जो सीमा के किनारे बहने वाली रावी नदी के पूर्वी किनारे पर बसा है.
भारतीयों के लिए करतारपुर साहिब गुरुद्वारे तक जाने जाने का रास्ता पंजाब के गुरुदासपुर स्थित डेरा बाबा नानक से ही है. यहीं से कॉरिडोर के जरिए लोग वहां तक पहुंच पाते हैं. इस कॉरिडोर की कुल लंबाई 4.1 किलोमीटर है.
04. पाकिस्तान में मौजूद करतारपुर साहिब गुरुद्वारा के दर्शन के लिए जाने वाले लोगों को फीस के तौर पर 20 डॉलर यानी करीब 1500 रुपये चुकाने होते हैं.
सिखों के लिए काफी महत्व रखता है क्योंकि यहीं पर सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने अपने जीवन के आखिरी 18 साल बिताए थे. ऐसी मान्यता है कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक 1522 में करतारपुर आए थे.
05. करतारपुर कॉरिडोर के माध्यम से जाकर दरबार साहिब गुरुद्वारा के दर्शन के लिए के ऑनलाइन आवेदन करना होता है. इसी दौरान आपको अपने पासपोर्ट की जानकारी देनी होती है और यात्रा के दौरान सिर्फ वैध पहचान पत्र अपने पास रखना होता है. रजिस्ट्रेशन के लिए आधिकारिक वेबसाइट prakashpurb550.mha.gov.in पर जाया जा सकता है. रजिस्ट्रेशन के बाद आपको नोटिफिकेशन प्राप्त होता है.
06.जानकारी के मुताबिक कॉरिडोर के बनने से पहले लोग दूरबीन से करतारपुर साहिब के दर्शन किया करते थे और ये काम बीएसएफ की निगरानी में होता था.
07. करतारपुर साहिब गुरुद्वारा पाकिस्तान के नारोवाल जिले में पड़ता है जो भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा से 4.5 किलोमीटर दूर है.
08. गुरुनानक देव जी के साथ उनका पूरा परिवार करतारपुर में ही बस गया था. मान्यता है कि यहीं पर उन्होंने पहली बार सिख धर्म की स्थापना की थी. उन्होंने पहली बार इसी जगह ‘नाम जपो, किरत करो और वंड छको’ (नाम जपें, मेहनत करें और बांटकर खाएं) का उपदेश दिया था.