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यूपी: लखनऊ में प्रियंका वाड्रा ने कहा कि यूपी में आशा व आंगनबाड़ी कर्मियों को 10 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय देगी कांग्रेस सरकार।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में महिलाओं को 40 फीसद टिकट देने का वादा करने वाली कांग्रेस पार्टी यूपी में सत्ता में आने पर आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को 10000 रुपये प्रति माह मानदेय देगी। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बुधवार को ट्वीट कर यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आशा बहनें सम्मान की हकदार हैं और मैं इस लड़ाई में उनके साथ हूं।
उप्र सरकार द्वारा आशा बहनों पर किया गया एक-एक वार उनके द्वारा किए गए कार्यों का अपमान है।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) November 10, 2021
मेरी आशा बहनों ने कोरोना में व अन्य मौकों पर पूरी लगन से अपनी सेवाएं दीं। मानदेय उनका हक है। उनकी बात सुनना सरकार का कर्तव्य।
आशा बहनें सम्मान की हकदार हैं और मैं इस लड़ाई में उनके साथ हूं। pic.twitter.com/fTmBSvJbQD
वहीं यूपी कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने ट्वीट में एक वीडियों के साथ लिखा कि 'उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आशा बहनों पर किया गया एक-एक वार उनके द्वारा किए गए कार्यों का अपमान है। मेरी आशा बहनों ने कोरोना में व अन्य मौकों पर पूरी लगन से अपनी सेवाएं दीं। मानदेय उनका हक है और उनकी बात सुनना सरकार का कर्तव्य। आशा बहनें सम्मान की हकदार हैं और मैं इस लड़ाई में उनके साथ हूं। कांग्रेस पार्टी आशा बहनों के मानदेय के हक और उनके सम्मान के प्रति प्रतिबद्ध है और सरकार बनने पर आशा बहनों एवं आंगनबाड़ी कर्मियों को 10,000 रुपये प्रतिमाह का मानदेय देगी।'
1. छात्राओं को स्मार्टफोन और स्कूटी।
2. सालाना तीन मुफ्त गैस सिलेंडर।
3. महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा।
4. नए सरकारी पदों में आरक्षण प्राविधानों के अनुसार 40 प्रतिशत महिलाओं की नियुक्ति।
5. 1000 रुपये प्रति माह वृद्धा-विधवा पेंशन
आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को 10000 रुपये प्रति माह मानदेय।
6. प्रदेश में वीरांगनाओं के नाम पर प्रदेश में 75 दक्षता विद्यालय।
और वहीं प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि 'मुख्यमंत्री जी आज ब्रज क्षेत्र जा रहे हैं। ब्रज ने पूरी दुनिया को गौ-सेवा की प्रेरणा दी। आशा है कि वे गौशालाओं की दुर्दशा के बारे में कुछ करेंगे। पिछले पांच सालों से उत्तर प्रदेश की ज्यादातर गौशालाओं का यही हाल है। गौशालाओं की भारी दुर्दशा के बावजूद, सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है।