
UP news
यूपी: वाराणसी काशी विश्वनाथ के बगल में विराजेंगी मां अन्नपूर्णा, सौ साल पहले हुई थी चोरी, 15 को सीएम योगी करेंगे प्राण प्रतिष्ठा।
वाराणसी। काशी विश्वनाथ धाम से चोरी हुई मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा 14 नवंबर को वाराणसी आ जाएगी। माता अन्नपूर्णा की यह प्राचीन प्रतिमा बाबा विश्वनाथ के पास ही विराजेंगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रबोधिनी एकादशी के अवसर पर 15 नवंबर को प्रतिमा में विधिवत प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। इसके पहले नई दिल्ली से प्रतिमा 11 नवंबर को सुसज्जित वाहन पर काशी रवाना होगी। वह अयोध्या समेत विभिन्न पड़ावों से होते हुए 14 की रात काशी पहुंचेगी।
वहीं दिल्ली से शुरू होगी चार दिवसीय यात्रा
कनाडा से प्राप्त की गई देवी अन्नपूर्णा की 18 वीं शताब्दी की प्रतिमा की चार दिवसीय यात्रा भी आयोजित होगी। उत्तर प्रदेश सरकार मूर्ति को वाराणसी ले जाने के लिए 11 नवंबर से नई दिल्ली से चार दिवसीय माता अन्नपूर्णा देवी यात्रा शुरू करेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी के साथ बुधवार को यात्रा का विस्तृत कार्यक्रम बताया।
बता दे कि योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री सुरेश राणा और नीलकंठ तिवारी 11 नवंबर को गोपाष्टमी पर नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में मूर्ति प्राप्त करेंगे। उन्होंने कहा कि संबंधित जिलों के प्रभारी मंत्री रास्ते में मूर्ति का स्वागत करेंगे और यात्रा 14 नवंबर को वाराणसी पहुंच जाएगी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने 15 अक्टूबर को नई दिल्ली में मूर्ति प्राप्त की है।
वहीं नई दिल्ली से शुरू होने वाली यात्रा गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर और हाथरस से होकर गुजरेगी और कासगंज के सोरों में रात्रि विश्राम करेगी। यात्रा फिर एटा, मैनपुरी, कन्नौज को कवर करेगी और कानपुर नगर के तपेश्वरी देवी मंदिर में रात में रुकेगी। इसके बाद मूर्ति को उन्नाव, लखनऊ और बाराबंकी के रास्ते राम जन्मभूमि, अयोध्या ले जाया जाएगा। अयोध्या में रात रुकने के बाद यात्रा सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, जौनपुर से होकर 14 नवंबर को वाराणसी पहुंचेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों के बाद उत्तर प्रदेश सरकार इसे वापस ला रही है। इसके लिए मैं प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करता हूं। योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से भारत की विरासत ने दुनिया में अपना स्थान बनाया है। केंद्रीय मंत्री रेड्डी ने बताया कि मूर्ति के बारे में पता चलने पर प्रधानमंत्री मोदी ने कनाडा से मूर्ति को वापस लाने के प्रयास किए। कनाडा के प्रधानमंत्री से फोन पर बात की और मूर्ति को वापस करने का अनुरोध किया गया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने भी वहां से मूर्ति वापस लाने के लिए कनाडा सरकार से संपर्क किया। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि यह मूर्ति उसी स्थान पर वापस आ जाए जहां से यह चोरी हुई थी।
बता दें कि रेड्डी ने कहा कि केंद्र सरकार को विदेशों से 55 मूर्तियां और पेंटिंग मिली हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश काल में भारत से निकाली गई 55 में से कुल 42 मूर्तियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 में सत्ता संभालने के बाद प्राप्त हुई हैं। मंत्री ने यह भी कहा कि अन्य 157 मूर्तियों और चित्रों की पहचान की गई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री हाल ही में यूएसए गए थे और वहां से लगभग 100 कलाकृतियां वापस लाने की प्रक्रिया में हैं। रेड्डी ने कहा कि जिन अन्य देशों में कला कार्यों की पहचान की गई है उनमें सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, यूके, स्विट्जरलैंड और बेल्जियम शामिल हैं।