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यूपी में डॉक्टर की बड़ी लापरवाही : घायल व्यक्ति को बताया मृत, 6 घंटे बाद मोर्चरी में चलती मिली सांस

यूपी में डॉक्टर की बड़ी लापरवाही : घायल व्यक्ति को बताया मृत, 6 घंटे बाद मोर्चरी में चलती मिली सांस

मुरादाबाद । जिला अस्पताल में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां सड़क हादसे में घायल एक व्यक्ति को निजी और सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया लेकिन कुछ घंटे बाद सवेरे मोर्चरी में उसकी सांस चलती मिली। इसकी जानकारी होते ही स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में उसे दोबारा जिला अस्पताल में भर्ती करके उपचार शुरू किया गया। बाद में उसकी गंभीर स्थिति देखते हुए उसे मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया।

संभल के हजरतनगर गढ़ी थाना क्षेत्र के गांव पोटा बराही निवासी श्रीकेश गौतम( 42) मुरादाबाद नगर निगम में लैंप लाइटर के पद पर तैनात है। वह मझोला के मंडी समिति के पास किराये के मकान में पत्नी दीक्षा के साथ रहता है। गुरुवार रात करीब साढ़े नौ बजे मंडी समिति के पास एक बाइक ने उन्हें तेज टक्कर मार दी थी। गंभीर रूप से घायल श्रीकेश को दिल्ली रोड पाकबड़ा स्थिति एक निजी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद उसे नया मुरादाबाद स्थित ब्राइट स्टार हास्पिटल में भर्ती कराया गया। वहां भी स्थिति नहीं सुधरी परिजन उसे लेकर पहले मझोला स्थित साईं अस्पताल और फिर कांठ रोड स्थित विवेकानंद अस्पताल पहुंचे।

बहनोई दिसौदी लाल ने बताया कि विवेकानंद अस्पताल में डॉक्टर ने बताया कि श्रीकेश की मौत हो चुकी है। यह सुनकर घंटों अस्पतालों के चक्कर काट रहे परिजन मायूस हो गए। विभागीय औपचारिकता के लिए वे श्रीकेश को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। जहां इमरजेंसी वार्ड में नाइट ड्यूटी पर तैनात डॉ. मनोज कुमार ने रात करीब 3.30 बजे उसे मृत घोषित कर दिया।


पहले निजी और फिर सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा श्रीकेश को मृत घोषित किए जाने के बाद परिजन पूरी तरह से टूट चुके थे। मायूस परिजन खुद जिला अस्पताल के स्टाफ की मदद से श्रीकेश को मृत मानकर मोर्चरी के प्लेटफार्म पर रख आए थे ताकि सवेरे पोस्टमार्टम हो सके। श्रीकेश की मौत की सूचना जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड से पीआई सिविल लाइंस थाने और मझोला पुलिस को भी दे दी गई थी। रोजाना की प्रक्रिया के अनुसार शुक्रवार सवेरे करीब दस बजे मंडी समिति में तैनात एसआई अवधेश कुमार पोस्टमार्टम के लिए पंचनामा भरने मोर्चरी पहुंचे।

परिजनों की मौजूदगी में जब उन्होंने इंजरी मार्क नोट करने को श्रीकेश को ओढ़ाई गई चादर हटाई तो उन्हें शरीर में कुछ हलचल महसूस हुई। श्रीकेश के जिंदा होने की उम्मीद जगने पर परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा कर दिया। परिजन इमरजेंसी वार्ड में तैनात डॉ. अरुण तोमर को लेकर मोर्चरी पहुंचे। जांच में डॉक्टर ने पुष्ट किया कि श्रीकेश की सांस चल रही है। उसे तत्काल फिर से अस्पताल में भर्ती कराया गया और ऑक्सीजन सपोर्ट दिया गया। हालांकि उसकी गंभीर हालत देखते हुए उसे हायर मेडिकल सेंटर रेफर कर दिया गया। बाद में परिजन श्रीकेश को लेकर मेरठ मेडिकल कॉलेज पहुंचे, जहां उसका उपचार चल रहा है। देर रात फोन पर श्रीकेश के भाई सत्यानंद गौतम ने बताया कि श्रीकेश अभी बेहोश है। उसके ऑपरेशन के लिए जांच कराए जा रहे हैं।

रात करीब साढ़े तीन बजे जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में डॉकटर ने श्रीकेश को मृत घोषित कर उसे मोर्चरी में रखवा दिया। इसके बाद सुबह करीब दस बजे जब मझोला पुलिस पहुंची उसके जीवित होने का पता चला तो परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया। इस तरह करीब साढ़े छह घंटे तक श्रीकेश जिंदा होने के बाद भी मोर्चरी में शवों को रखने के लिए बनाए गए प्लेटफॉर्म पर बेसुध पड़ा रहा। हालांकि बाद में जिला अस्पताल प्रशासन बचाव की मुद्रा में आ गया और आनन-फानन में अपनी गलती को सुधार कर उपचार शुरू किया। बहनोई दिसौदी लाल और भाई सत्यानंद ने कहा कि यदि रात में डॉक्टर ठीक से देखते तो शायद उसी समय उपचार शुरू हो जाता।