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यूपी: स्वच्छता सर्वेक्षण सर्टिफिकेशन ने बिगाड़ा परिणाम, वाराणसी को 800 में मिले महज 500 अंक।

यूपी: स्वच्छता सर्वेक्षण सर्टिफिकेशन ने बिगाड़ा परिणाम, वाराणसी को 800 में मिले महज 500 अंक।


वाराणसी। स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 के आए परिणाम ने नगर निगम की तैयारियों की पोल खोल कर रख दी। सबसे अधिक नुकसान सर्टिफिकेशन के बिंदु पर हुआ। 1800 के पूर्णांक में वाराणसी नगर निगम को महज 500 अंक मिले। इसमें तीन अवयव थे। एक ओडीएफ, दूसरा जल संरक्षण तो तीसरा जीएफसी यानी गारवेज फ्री सिटी। ओडीएफ के पांच सौ तो जल संरक्षण के एक सौ पूर्णांक थे जबकि जीएफसी 1200 पूर्णांक थे।

वहीं इस सर्टिफिकेशन के बिंदु पर नगर निगम को बेहतर प्रदर्शन कराने के लिए प्रदेश स्तर से जीओ स्टेट नामक कंपनी की नियुक्ति भी की गई है लेकिन दुखद है कि बीते दो वर्षों में कंपनी के किसी भी अफसर या कर्मचारी का बनारस में आना संभव नहीं हो सका। चूंकि, प्रदेश स्तर से कंपनी का चयन हुआ है, इसलिए स्थानीय स्तर पर कंपनी की निगरानी व सख्ती भी हो पा रही है। बता दें कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के बीच हुए सर्वेक्षण का कुल पूर्णांक छह हजार था।

बता दें कि जिसमें वाराणसी शहर को 3532.15 अंक प्राप्त हुए जिसके आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर वाराणसी शहर को 30वां स्थान मिला। इस छह हजार के पूर्णांक में पहला बिंदु सिटीजन वायस था जिसका पूर्णांक 1800 था। इसमें वाराणसी शहर को 1288.45 अंक मिले। इसकी सफलता के पीछे कम्प्यूटर सेल से जुड़े कर्मचारियों की मेहनत थी जिन्होंने पीआरओ संदीप श्रीवास्तव की अगुवाई में स्वच्छता अभियान के तहत शहर में उठाए गए कदम के बाबत जनता से फीडबैक लिया। 

वहीं फीडबैक के लिए टेलीफोन, काल सेंटर से काल कर, शहरी विकास व आवासन मंत्रालय के 1969 टोल फ्री नंबर से सवाल पूछकर, स्वच्छता एप, गूगल डाक्स आदि माध्यम का इस्तेमाल किया गया। दूसरा बिंदु सर्टिफिकेशन था जिसमें कचरा, सीवेज, पेयजल, सड़क व नाली-नाले की स्थिति, प्लास्टिक मुक्त शहर, कुंड-तालाब, पार्क, शौचालय की स्थित आदि पर हुए कार्य का मूल्यांकन होना था।

वहीं दूसरी तरफ स्वच्छता सर्वेक्षण का तीसरा प्रमुख बिंदु सर्विस लेवल प्रोग्रेस था। इसका पूर्णांक 2400 था। कमियां मिलने पर माइनस मार्किंग भी शामिल थी। इसमें नगर निगम वाराणसी को 1743.70 अंक मिले। इसमें भारत सरकार से आई टीम औचक निरीक्षण के दौरान सर्विस लेवल प्रोगे्रस को लेकर जनता से फीडबैक लेती थी। कहीं कचरा दिख गया, या प्रतिबंधित प्लास्टिक का इस्तेमाल होता मिल गया। सीवर ओवरफ्लो, पेयजल लीकेज आदि दिख गया तो नंबर कट जाते थे।

वहीं फिर से कमियों को रेखांकित किया जा रहा है। आगामी सर्वेक्षण में उसे प्राथमिकता पर दूर किया जाएगा ताकि बेहतर प्रदर्शन करते हुए वाराणसी शहर टाप-10 में जरूर आए। संसाधनों की कमी नहीं है। कचरा प्रसंस्करण के लिए नया प्लांट भी लगाया जा रहा है जिसमें कचरे से कोयला बनाने का कार्य होगा। उम्मीद है कि आगामी सर्वेक्षण में हम बेहतर प्रदर्शन करेंगे।